SHIVPURI NEWS - बालिग को उसकी इच्छा के विरूद्ध रोका जा रहा है, एडवोकेट रीतू ने लगाई हैबियस कॉर्पस रिट

Bhopal Samachar

शिवपुरी। एडवोकेट रीतू शर्मा ने ग्वालियर हाईकोर्ट में एक संवेदनशील मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक महिला और उसके 4 माह के नवजात की स्वतंत्रता के लिए स्वाधार गृह, ग्वालियर से मुक्त कराने हेतु हाईकोर्ट, ग्वालियर में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की गई। यह याचिका उन परिस्थितियों में दाखिल की गई जब महिला, अब बालिग (20 वर्ष) है, को बिना उसकी स्वेच्छा के प्रशासनिक आदेश के आधार पर रोका गया था, जबकि वह मानसिक रूप से सक्षम है और अपनी मर्जी से बाहर जाना चाहती है। उक्त याचिका में अधिवक्ता रीतू शर्मा ने यह दलील दी कि एक बालिग महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध रोका जाना अनुच्छेद 21 (Right to Life and Liberty) का स्पष्ट उल्लंघन है।"

महिला के साथ उसका 4 माह का शिशु भी स्वधार गृह में निरुद्ध है, जिससे बच्चे के मानवाधिकार और परवरिश पर भी गंभीर प्रश्न उठे। अधिवक्ता रीतू शर्मा ने यह सुनिश्चित किया कि महिला की स्वतंत्र इच्छा को उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और उसे स्वतंत्र जीवन जीने का संवैधानिक अधिकार दिया जाए।यह मामला महिलाओं की आजादी और कानून के दुरुपयोग के विरुद्ध एक मील का पत्थर बन सकता है।

एडवोकेट रीतू शर्मा ने शिवपुरी समाचार से बातचीत करते हुए बताया कि लगभग 2 साल पूर्व शिवपुरी का रहने वाला एक युवक एक नाबालिग को अफेयर के चलते घर से लेकर फरार हो गया था और दोनो गुजरात चले गए थे। इधर नाबालिग के फरार होने पर नाबालिग के परिजनों ने पुलिस में युवक के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया था। युवक और नाबालिग ने शादी नहीं की थी वह लिवइन के कागजात बनवाकर एक साथ रहने लगे थे।

लगभग 2 माह पूर्व जब युवक ओ युवती वापस आए तो युवक के साथ फरार हुई नाबालिग अब बालिग हो चुकी थी और 4 माह के नवजात की मॉ बन गई थी। युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया इधर युवती को परिजनों को अपनाने के लिए यह शर्त रखी की उसके नवजात शिशु को उसके पिता को वापस कर दे। 4 माह की नवजात मॉ ने परिजनो की इस शर्त को अस्वीकार कर दिया था। प्रशासन ने युवती को उसके 4 माह के शिशु के साथ वन स्टॉप सेंटर भेज दिया था। इसके बाद एसडीएम शिवपुरी के ओदश पर महिला ओर उसके शिशु को ग्वालियर के स्वधार गृह के लिए ट्रांसफर कर दिया।

वर्तमान में महिला और उसका नवजात शिशु ग्वालियर के स्वधार ग्रह में निरुद्ध है। नवजात की माँ चहती है कि उसको ग्वालियर के स्वधार ग्रह से आजाद किया है वह पूर्ण रूप से बालिग है,और अपना स्वयं का निर्णय लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र है जिस युवक के साथ वह डेढ़ साल तक लिव इन मे रही उसको न्यायालय ने जमानत भी देदी है। युवती अब अपने नवजात के पिता के साथ रहना चाहती है। इस कारण ही एडवोकेट रीतू शर्मा ने हाई कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की है।