अनिल कुशवाह शिवपुरी। शिवपुरी के अपना घर आश्रम में गुना प्रशासन द्वारा मुक्त कराए गए 16 मजदूरों का 3 एंबुलेंस से लाया गया। पिछले कई वर्षो से जानवरो की जिदंगी जी रहे लोग जिंदा लाश बनकर रह गई थी। दबंगो की हैवानियत इतनी की यह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे है। जब प्रशासन की टीम मजदूरों को मुक्त कराने के लिए दबिश दी तो पर इन जिंदा लाशों की हालत देख कर अधिकारी भी अधिकारी भी दंग रह गए कि किस तरह उनके साथ जानवरों जैसा सलूक किया जा रहा है। दबंग विक्षिप्त मजदूरों को करंट लगाकर काम करवा रहे थे। जब प्रशासन की टीम इन्हें पकड़कर साथ लाने लगी तो कई दबंगों ने विरोध किया और रोकने का प्रयास किया।
बंधुआ मजदूरों मे एक हाई स्कूल का शिक्षक निकला
विक्षिप्तों को मुक्त कराने के बाद बीनागंज अस्पताल ले जाकर उनका मेडिकल चेकअप कराया। अधिकारियों ने उन्हें पहनने के लिए नए कपड़े दिए, इसके बाद जब कुछ विक्षिप्त बात करने की स्थिति में आए तो चौंकाने वाले खुलासे किए, इनमें से एक तो हाई स्कूल का शिक्षक था, जिससे दबंग गोबर फिंकवा रहे थे। वहीं कुछ लोग ठीक से बोल नहीं पा रहे थे, लेकिन उन्होंने अंग्रेजी में अपना नाम लिख कर दिया। बीते शुक्रवार की शाम को सभी को जिला अस्पताल लाया गया है। आज सुबह इन सभी बंधुआ मजदूरों को शिवपुरी के अपना घर आश्रम लाया गया है,जहां यह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करगें। अब यह प्रभुजी के नाम से पहचाने जाऐग,समय पर भोजन और दवा इनको नया जीवन देगें।
कई राज्यों के निवासी निकले यह बधुआ
मुक्त कराए गए लोग गोवा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों के हैं। कार्रवाई के दौरान गुना के एसडीएम रवि मालवीय, गुना श्रम अधिकारी आशीष तिवारी, एसडीओपी महेंद्र गौतम, सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद भार्गव के साथ राजस्व अमला, पुलिस और नगर पालिका के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
शिवपुरी के पत्रकार की खबर का असर
शिवपुरी के पत्रकार अभिषेक शर्मा जो गुना में पत्रकारिता कर रहे है,उन्होंने बीनागंज में हो रही इस अमानवीयता को उजागर किया था। इसे संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल के निर्देशन में शुक्रवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की,इस कार्यवाही के बाद फिर यह सिद्ध हुआ कि कलम की ताकत फिर किसी की जिंदगी बचा सकती है।
डॉक्टर बोले- इनको सिर्फ भोजन दिया ताकि ये जिंदा रहें
मुक्त कराए गए विक्षिप्तों की जांच करने वाले जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सोवरन राय ने कहा कि इनसे इतना काम कराया गया है कि हालत ठीक से बताने लायक नहीं हैं, इनके स्वास्थ्य का नतो ध्यान रखा गया और न ही बीमार पड़ने पर इलाज कराया गया। अभी जांच में कुछ लोगों को स्किन, फेफड़ों की परेशानी है तो कुछ लोगों को सर्जिकल परेशानियां भी हैं। इनको पकड़ने वालों का एक ही उद्देश्य रहा है कि जितना हो सके इनसे काम कराएं और सिर्फ भोजन दें, जिससे यह मरें नहीं। यह मानवता को शर्मसार करने वाला है,मुक्त कराए गए कुछ मजदूर ही अपना नाम बता पा रहे है बाकी मजदूरों को अपनी सुध बुध नहीं है। बीनागंज क्षेत्र में सैकड़ों मजदूर अभी भी दो जून की रोटी पर मशीन की तरह काम कर रहे है।