SHIVPURI NEWS - नौतपे हुआ NO-तपा, सूर्यदेव बादलो के पीछे, यह है ​नुकसान, पढ़िए खबर

Bhopal Samachar

शिवपुरी। रविवार से नौपते शुरू हो गए है लेकिन उम्मीद के मुताबिक यह नौतपे तपे नही है। नौतपा शब्द बना है। नौ + तपा अर्थात सूर्य द्वारा तपाए गए 9 विशेष दिन सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा प्रारंभ हो जाता है और इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिन तक रहते हैं, इसके बाद सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाते हैं। हर साल ज्येष्ठ मास में नौतपा प्रारंभ हो जाता है और इन 9 दिनों में भयंकर गर्मी पड़ती है।  कहते हैं अगर नौतपा में भयंकर गर्मी पड़ती है तो आने वाले समय में अच्छी बारिश होगी. वहीं अगर नौतपा में बारिश हो जाए तो आने वाले समय में वर्षा ऋतु में बारिश के हाल बेहाल रहने वाला हैं।


लेकिन इस बार मौसम ने करवट ली है। नौतपे मे सूर्यदेव अपनी पूरी ताकत नही दिखा पा रहे है। आसमान मे बादल छाए इस कारण उमस हो रही है। रविवार को नौपते शुरू हुए है रविवार को सुबह ऐसा लग रहा था कि इस बार नौतपे का स्वागत बारिश से होगा लेकिन दोपहर होते होते सूर्यदेव आसमान में चमकने लगे। सोमवार की सुबह सूर्यदेव अपना तेज दिखा रहे थे लेकिन दोपहर होते होते सूर्यदेव आसमान में बादलों में छुप गए। आसमान में बादल छाने के कारण उमस भरी गर्मी रही।

इसलिए भी आवश्यक है नौतपे

नौतपे में धरती न तपसे तो कुछ चीजें प्रभावित हो सकती हैं, जैसे कि चूहों और कीटों की संख्या बढ़ना, फसलों को नुकसान, और टिड्डियों के अंडों का नष्ट न होना। यदि नौतपे में लू ना चले तो यह किसानों के लिए सूखा और फसलों के नुकसान का संकेत हो सकता है।  

नौतपे में धरती न तपने तो क्या होगा?
चूहों और कीटों की संख्या में वृद्धि: नौतपे के शुरू के दो दिन अगर लू ना चले, तो चूहों की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है।

फसलों को नुकसान अगर लू ना चले तो "कातरा" नामक कीटाणु बढ़ जाते हैं, जो फसलों को हानि पहुंचा सकते हैं. टिड्डियों के अंडों का नष्ट न होना।

नौतपे के तीसरे और चौथे दिन अगर लू ना चले तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे, जो फसलों को बर्बाद कर सकते हैं।

सूखा और फसलें खराब होने का खतरा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि नौतपे में सूर्य जितना प्रचंड होगा और लू चलेगी, बारिश उतनी अच्छी होगी. यदि नौतपा ठीक से नहीं तपता है, तो किसानों के सूखे खेतों को पानी नहीं मिलेगा और फसलें खराब हो सकती हैं।

नौतपा में बारिश होना

नौतपा में जब भयंकर गर्मी पड़ती है तब समुद्र के पानी का तेजी से वाष्पीकरण होता है और उससे घने बादल बनते हैं। घने बादल होने से अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं। लेकिन वहीं अगर नौतपा के दिनों में बारिश हो जाए तो वाष्पीकरण की प्रक्रिया रुक जाती है और बादल कम पानी बनाते हैं, जिससे अच्छी बारिश नहीं हो पाती है। मान्यता है कि अगर इन 9 दिनों के दौरान बारिश होने लगे तो इसे नौतपा का गलना माना जाता है। अगर नौतपा गलने लगे तो अच्छा मानसून नहीं होता है।

इधर मानसून बरसने का तैयार

इसके अलावा भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, झाबुआ, धार, इंदौर, रतलाम, उज्जैन, देवास, शाजापुर, आगर, मंदसौर, नीमच, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकलां, सिंगरौली, सीधी, टीवा, मऊगंज, सतना, अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और मैहर में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश का अनुमान है।