शिवपुरी जिले के RES के EE श्रीवास्तव ने एक साल में किया करोड़ों रुपए का घोटाला,नोटिस जारी

Bhopal Samachar

शिवपुरी। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) विभाग में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री जीके श्रीवास्तव ने सिर्फ एक वर्ष के अपने कार्यकाल में ही मनरेगा योजना में करोड़ों रुपयों की अनियमितता की है। विभागीय जांच में प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितता स्पष्ट हुई है। जिसे लेकर संभागायुक्त ने ईई श्रीवास्तव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है। जवाब नहीं देने की स्थिति में एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी।

आरईएस के ईई जीके श्रीवास्तव के भ्रष्टाचार की चर्चा शहर से लेकर गांव-गांव तक में थी। जनप्रतिनिधि जिस गांव में जाते थे, वहां से उन्हें शिकायत मिल रहीं थीं। इसके बाद भाजपा जिला महामंत्री प्रमेंद्र सोनू बिरथरे ने 10 मार्च को जिला पंचायत सीईओ को एक गोपनीय शिकायत की थी। इसमें उल्लेख किया कि मनरेगा योजना अंतर्गत प्रचलित एवं प्रगतिरत निर्माण कार्यो में उपयंत्री एवं सहायक यंत्री के बिना माप पुस्तिका में माप, मूल्यांकन एवं प्रोग्रेस अंकित किए बिना ही मजदूरी एवं सामग्री के देयकों का भुगतान बिना हस्ताक्षर पारित कर किया गया है।

ज्यादा का घोटाला, संभागायुक्त ने थमाया नोटिस
इसके बाद जिला पंचायत की सहकारिता और उद्योग स्थायी समिति की सभापति सुनीता नवल जाटव ने 11 मार्च 2023 को बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के कार्य प्रारंभ कर अपने करीबियों द्वारा भ्रष्टाचार कराये जाने की शिकायत की गई। इसमें भी अनियमितता मिली। जांच में सामने आया कि कार्यभार ग्रहण करने की दिनांक 01 मार्च 2023 से वर्तमान तक मनरेगा योजना से वित्तीय वर्ष 2022-23 में राशि 10.99 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में राशि 10.04 करोड़ इस प्रकार कुल 21.04 करोड़ सामग्री मद में भुगतान किया गया, लेकिन निर्माण कार्यों के पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं।

ईई ने बिना मूल्यांकन अथवा सत्यापन के राशि 28.80 लाख, बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के प्रारंभ किए कार्यों पर राशि रुपये 126.29 लाख एवं गैर अनुमत कार्यों पर 70.44 लाख कुल राशि रुपये 225.53 लाख राशि अनियमित भुगतान की गई है।

नोटिस में उल्लेख है कि ईई ने अपने कार्यकाल में शासन के निर्देशों का पालन किये बिना मनरेगा योजना में राशि 21.04 करोड़ सामग्री का भुगतान में अनियमितता की गई है। भुगतान उपरांत कोई भी कार्य इनके कार्यकाल में पूर्ण नहीं हुआ है जिसमें प्रथम दृष्टया दोषी प्रतीत होते हैं। उक्त कृत्य पदीय दायित्वों के निर्वहन में गंभीर वित्तीय अनियमितता, लापरवाही एवं स्वेच्छाचारिता के साथ कदाचरण की श्रेणी में आता है, जो मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन है।
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