SHIVPURI NEWS -नगर पालिका के ठेकेदार सत्यम शर्मा ने कर दिया आउटसोर्स कर्मचारी की सैलरी में घोटाला, शिकायत

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर शिवपुरी शहर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिल रही हैं जहां आज नगरपालिका के आउट सोर्स के माध्यम से रखे गये कर्मचारी डोर टू डोर वाहन चालकों की वेतन नहीं मिलने पर एसपी से पास पहुंचकर शिकायत करते हुए बताया कि जब हमें नगरपालिका अध्यक्ष ने काम पर रखा था तब हमारी कलेक्ट्रेट की रेट पर सैलरी फिक्स की गई थी, लेकिन ठेकेदार ने हमें मात्र 3 महीने की सैलरी 7-7 हजार रुपये ही दी हैं। वो भी 4 महीने की बकाया हैं। और जब हमने ठेकेदार से अपनी सैलरी मांगी तो वह टालमटोल करने लगा और कहने लगा कि अभी तो मेरा ही पेमेंट नहीं आया तो तुम लोगों को कहां से दूं।

जानकारी के अनुसार शिवपुरी नगरपालिका में डोर टू डोर कर्मचारी हरिओम घावरी पुत्र सुखलाल घावरी ने बताया कि मेरे साथ दिनेश कुमार शाक्य पुत्र नत्थीलाल शाक्य, सागर कोडे पुत्र राजेश कोडे, तोसिफ पुत्र नसीम खान, मोहित पुत्र सचिन वाल्मीकि, वोवी खरे पुत्र देशराज खरे, राजेश कोडे पुत्र वच्ची लाल कोडे को नगर पालिका शिवपुरी में आउटसोर्सिंग के माध्यम से ठेकेदार सत्यम शर्मा निवासी मामू पान वाली गली कमलागंज मंदिर के पास शिवपुरी द्वारा डोर टू डोर वाहन चालक के पद पर कलेक्टर रेट पर रखा गया था।

जिसके बाद हमने अपना कार्य जुलाई से शुरू कर दिया था, जिसके बाद हमने ठेकेदार सत्यम शर्मा से अपनी सैलरी मांगी तो वह कहता रहा की अभी पेमेंट नहीं आया आयेगा तब मिल जायेगा। जिसके बाद तीन महीने बीत जाने पर ठेकेदार ने हम 8 लोगों को तीन महीने की 21-21 हजार रुपये सैलरी दे दी। ठेकेदार ने हमें कलेक्ट्रेट की रेट के हिसाब से 10 हजार 500 रुपये महीने देने थे, नहीं उसने 7 हजार रुपये हर एक कर्मचारी को दिये।

उसके बाद भी उसने 4 महीने की सैलरी रोककर रख ली, वो भी नहीं दी। जिसके बाद हमने ठेकेदार से कहा की हमारी सैलरी तुमने कलेक्टर की रेट के हिसाब से नहीं दी तो उस पर ठेकेदार कहता हैं कि यही रेट तय हुई थी, हमारी बात वह मानने को तैयार नहीं हुआ। और ठेकेदार का ठेका पूरा हो चुका है और उसने नगरपालिका से काम छोड़ दिया हैं हम ठेकेदार को फोन करते हैं तो वह कहता है कि मेरा पेमेंट नहीं आया है मैं कहां से तुम लोगों को पेमेंट करूं।

इस संबंध में जब हमने नगरपालिका सीएमओ केशव सिंह सगर से बात की तो उन्होंने कहां कि मुझे इस मैटर से कोई लेना देना नहीं हैं। मैं कुछ नहीं कर सकता। इसके बाद हम सभी कर्मचारी परेशान होकर पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचे और उनसे कलेक्टर दर के हिसाब से हमारी सैलरी देने की गुहार लगाई।