SHIVPURI NEWS - अमोला में कुपोषण, 7 साल का सुखदेव अपने पैरो पर खड़ा नहीं हो सकता,इलाज पर हजारो खर्च

Bhopal Samachar

शिवपुरी। कुपोषण से लडने के लिए मध्य प्रदेश का महिला बाल विकास विभाग कार्य करता है। इस विभाग के जिले का करोडो का बजट है,लेकिन महिला बाल विकास विभाग शिवपुरी को शर्मसार करने वाली खबर शिवपुरी जिले के अमोला क्षेत्र के स्थित अमोला  क्रेशर पंचायत से मिल रही है। इस बस्ती में रहने वाला एक 7 साल का बालक अतिकुपोषित की श्रेणी में आ रहा है 7 साल का बालक जहां स्कूल जाना शुरू कर देता है,लेकिन यह बालक कुपोषण के कारण अपने पैरो पर खड़ा नहीं हो पाता है,इस मामले में सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस बच्चे की जानकारी विभाग के पास नहीं है।

शिवपुरी जिले की आदिवासी बस्तियों में कुपोषित बच्चों की हालत खराब है और कुपोषण दूर करने का दावा करने वाला महिला बाल विकास विभाग कागजी घोड़े दौड्रा कर अपने कॉलम पूरे कर रहा है। ग्राम अमोला क्रेशर में रहने वाले राकेश आदिवासी के चार बच्चों (दो बेटे व दो बेटियों) में सबसे छोटा बेटा सुखदेव की उम्र 7 साल है,लेकिन वो अपने पैरों सहारे खड़ा नहीं हो पाता।

राकेश ने बताया कि बेटे को सहारे से खड़ा करना पड़ता है और वो दीवार को पकडक़र कुछ देर खड़ा होकर बैठ जाता है। बेदम हो चुके पैरों की वजह से सुखदेव अधिकांश समय यूं ही बैठा रहकर रोता रहता है। उसके हाथों की हड्डियां तथा पसलियां दूर से ही स्पष्ट नजर आती हैं।


कुपोषित बालक के पिता राकेश ने बताया कि जब बेटे की हालत अधिक खराब थी तो वो उसे लेकर शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में गए थे। बकौल राकेश, मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तथा उसने खाना-पीना ही बंद कर दिया था। जिसके चलते हम वहां से उसे घर ले आए थे। घर पर तो वो पानी भी पीने लगा था ओर थोड़ा-बहुत कुछ खाने लगा।

इलाज पर 40 हजार खर्च कर दिए मजदूर पिता ने
मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले राकेश आदिवासी ने बताया कि पिछले दो माह से बेटे का इलाज शिवपुरी के एमडी गुप्ता से करवा रहे हैं, जिसमें 20 हजार खर्च हो चुके हैं। इसके अलावा पिछोर व बीजरी में भी प्राइवेट इलाज में 10-10 हजार रुपए खर्च होने के बाद भी बेटे के स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं हुआ। बेटा भी सही नहीं हो रहा तथा उसके इलाज में हो रहे खर्चे की वजह से कर्जदार भी बन गया।

ऐसे झाड़ा सुपरवाइजर ने पल्ला
हमारे यहां तो 5 साल तक के बच्चों की एंट्री रहती है, अधिकतम 6 साल के बच्चे का नाम दर्ज रहता है। अभी इस बालक की जानकारी मुझे नहीं है, मैं अभी 8 माह से सेक्टर पर आई हूं। मैं सोमवार को रजिस्टर देखकर बताती हूं।
जूली गुप्ता, सुपरवाइजर अमोला क्रेशर, सिरसौद सेक्टर
G-W2F7VGPV5M