SHIVPURI NEWS- मादा चीता आशा को पसंद आया शिवपुरी का जंगल-किया स्टे, पवन चीते को लाया जा सकता है यहां

NEWS ROOM
शिवपुरी।
कूनो नेशनल पार्क से फरार होकर शिवपुरी आई मादा चीता आशा को शिवपुरी जिले का जंगल अधिक पसंद आ रहा है। आशा पिछले 15 दिनो शिवपुरी जिले की सीमा में,इससे सबसे खास बात यह है कि आशा खनियाधाना क्षेत्र के बामौरकलां रेंज के जंगलों में पिछले 7 दिनों से रुकी हुई है। आशा जिले के अशोकनगर की सीमा चंदेरी और बामौरकलां वन क्षेत्र में स्थित झलकोई के जंगलों में घूम रही है। इससे पूर्व शिवपुरी समाचार से पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने बातचीत के दौरान कहा था कि झलकोई के जंगल आशा को पसंद आऐगा,दशको पूर्व इस क्षेत्र में बडे जानवरो की भरमार है।

यहां का जंगल तंत्र ऐसा है जहां बडा जानवर आसानी सरवाइप कर जाऐगा। अब आशा का इस क्षेत्र में स्टे कर लिया आगे भी रहा तो कूनो के बाडे में कैद नर चीता पवन को भी यहां लाया जा सकता है जिससे चीते का जोडा यहां आसानी से रह सके। अगर ऐसा होता तो शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क ऐसा पार्क हो जाऐगा जहां 3 बिग कैट फैमिली का निवास हैं,हालाकि जिस क्षेत्र में आशा रूकी हुई है वह क्षेत्र माधव नेशनल पार्क का नही है,सामान्य वन क्षेत्र है।

3 जिले का फॉरेस्ट विभाग अलर्ट मोड पर
श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क की सीमा लांघकर शिवपुरी के जंगलों में आई मादा चीता आशा पिछले एक सप्ताह से यहीं डेरा डाले हुए है। पिछले तीन दिन से वो खनियांधाना के जंगल वाले रास्ते से होकर चंदेरी अशोकनगर के जंगल की सीमा में भी घूम रही है। जिसके चलते कूनो की ट्रेकिंग टीम के अलावा अशोकनगर जिले की फोरेस्ट टीम ने अपने क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है। कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन की मॉनीटरिंग टीम आशा पर न केवल नजर बनाए हुए है, बल्कि वो उसके रुकने का इंतजार कर रही है।

10 किलोमीटर क्षेत्र में घूम रही है आशा

मादा चीता आशा यूं तो पिछले सात दिन से शिवपुरी के जंगल में रुकने के साथ ही वो अब ज्यादा दूर नहीं जा रही तथा अशोकनगर के चंदेरी की सीमा में थोड़ा बहुत घूमकर आ रही है। ऐसे में यदि आशा यहां कुछ समय रुक जाती है तो फिर कूनो के बाड़े में बंद पवन को भी यहां लाकर छोड़ा जा सकता है। ताकि यहां पर चीता का जोड़ा बन जाए।

अगर आशा की डिलेवरी यही होती है विशेष निगरानी
पार्क से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आशा संभवत: प्रेग्रेंट है और वो शावकों को जन्म देने के लिए जंगल में कहीं रुकेगी। यदि आशा शिवपुरी के जंगल में शावकों को जन्म देती है तो फिर कूनो की टीम को यहां पर भी आशा व उसके शावकों की मॉनिटरिंग करनी होगी। क्योंकि शिवपुरी के जंगल में तेंदुआ व लकड़बग्घा भी हैं।

यह कहा था पूर्व जिला पंचायत सदस्य चौहान ने
पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुलदिप सिंह चौहान ने बताया कि झलकोई के जंगल से लखारी,दुर्गापुर, झलकोई,ढिडौराखेडी,धूलपाई,ढोंगा ओर रिजोदा यह गांव लगते है इन गांवो में आदिवासी गुर्जर और यादव समाज के लोग रहते है। इनमे से कोई सी जाति शिकार नही करती है। झलकोई के जंगल में आशा सुरक्षित है यहां वर्षों पहले बडे जानवर निवास करते थे और इस जंगल मे बडी बडी गुफा है आशा आसानी से सुरक्षित होकर अपने बच्चो को जन्म दे सकती है वही अगर पर आगे की ओर चलेगी तो अशोकनगर के चंदेरी वनक्षेत्र मे जा पहुंच जाऐगी। वहीं यूपी की ओर नहीं जाएगी उसका रास्ता बेतवा नदी रोक सकती है। फिलहाल आशा आबादी क्षेत्र से दूर है और अशोकनगर की सीमा से 10 से 15 किलोमीटर दूर है।

पवन हो सकता है मुक्त
यदि शिवपुरी के जंगल में मादा चीता आशा रुक जाती है, तो फिर कूनो के बाड़े से पवन को शिवपुरी लाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि चीतों के बारे में जानकारी रखने वाले विदेशी चीता विशेषज्ञ भी कूनो में रहकर पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
अनिल सोनी, असि. डायरेक्टर माधव नेशनल पार्क
G-W2F7VGPV5M