करैरा। करैरा क्षेत्र में जिस तरह से स्मैक तस्करों, अवैध शराब पर कार्रवाई की जा रही हैं, उससे यह तो स्पष्ट है कि करैरा क्षेत्र के गांवों में स्मैक, गांजा और अवैध जहरीली शराब का कारोबार बड़े स्तर पर संचालित हो रहा है। इस बात की पुष्टि मंगलवार को बीस गांव के उस प्रतिनिधि मंडल ने कर दी है जो पंचायतों के पंचनामा के साथ कलेक्टर से नशे के कारोबार को बंद करवाने के लिए मिला।
कलेक्टर ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि वह जल्द ही अवैध नशे के कारोबार पर लगाम कसने के लिए जिम्मेदारों से कार्रवाई करवाएंगे। कलेक्टर से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि वैसे तो पूरे क्षेत्र में ही नशे का कारोबार फलफूल रहा है लेकिन उनके चौदह गांवों का तो नशे ने नाश कर दिया है।
ग्रामीणों के अनुसार नरौआ, ग्वालियर, इन्दरगढ, छितरी, करई, छिराई, बांसगढ़, आडर, रमगढ़ा, खडीचा, बेरखेड़ा, गधाई, खेराकोटियाए बनगवां आदि गांवों में अवैध रूप से जहरीली शराब बिकवाई जा रही है। इसके अलावा गांजा और स्मैक का कारोबार भी चरम पर है। कलेक्टर से मिलने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि इन गांवों में आधे से ज्यादा युवा नशे की गिरफ्त में हैं। गांव में अगर बुजुर्गों और महिलाओं को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर युवा कोई न कोई नशा कर रहा है जिससे गांव गर्त में जा रहे हैं।
ग्रामीण बालकृष्ण रावत का कहना है कि गांव में अवैध रूप से स्मैक बेचने वाले एक युवा ने कुछ दिन पहले एक सुनार को सिर्फ इसलिए लाठी से पीटा क्योंकि उसने अपने सोना तोलने वाले कांटे पर उसे स्मैक नहीं तोलने दी। ग्रामीणों का आरोप है कि नशे का अवैध कारोबार गांव में पुलिस की मिलीभगत से फलफूल रहा है। कलेक्टर से मिलने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को पंचायतों के पंचनामा तक सौंपे जिनमें गांव को नशा कारोबार से मुक्त कराने के संबंध में उल्लेख किया गया है।
बेटियां पढ़ने नहीं जा पाती, कई परिवारों ने खो दिए बच्चे
कलेक्टर से मिलने पहुंचे ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को बताया कि गांव में नशे के कारोबार के कारण हर युवा नशे का आदी हो गया है। हालात यह हैं कि गांव में लड़कियां भयमुक्त वातावरण में घर से नहीं निकल पा रही हैं। डर का आलम यह है कि कई बेटियां तो पढ़ने तक के लिए स्कूल नहीं जा रही हैं। महिलाएं खेत पर जाकर काम करने में भी डर रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार कई परिवारों ने नशे के इस अवैध कारोबार के कारण अपने बच्चे तक खो दिए हैं।
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अपराध की राह कर ली अख्तियार
बुजुर्ग ग्रामीणों का तो यहां तक कहना था कि नशे की लत लगने के बाद गांवों के युवाओं की हालत यह हो गई है कि उन्होंने एक ओर जहां काम धंधा, खेती, किसानी बंद कर दी है। वहीं दूसरी ओर उन्हें नशा करने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत होती है तो वह अपने घर में ही चोरी की वारदातों को अंजाम देकर घर के सामान को औने.पौने दाम में बेच आते हैं। इसके बाद क्षेत्र में चोरी, लूट, डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। कलेक्ट्रेट पहुंचे प्रतिनिधि मंडल का तो यहां तक कहना था कि जिले में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अगर इस तरह के अपराधों की संख्या करैरा अनुविभाग में अधिक है। इसका कारण गांव.गांव में बिक रहा नशा है।