बदरवास। शिक्षा विभाग की प्रतिदिन खबरों का प्रकाशन होता है कुछ विभाग से जारी प्रेस नोट होते है कुछ मीडिया विभाग को बदनाम करने वाली खबरों का प्रकाशन होता है। यह खबर यह सिद्ध करती है कि विभाग में नेतागिरी और चमचागिरी का पाठ भी चलता है बच्चों के लिए नहीं बल्कि शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच। इन दोनो को मिलाकर लापरवाही,रिश्वखोरी कामचोरी के पाठ पढे जाते है ऐसा ही कुछ देखने को मिला है बदरवास के एक स्कूल में जहां चमचागिरी चली,नेतागिरी भी हुई और रिश्वतखोरी हुई लापरवाही बरती गई इसलिए सालो से छात्र विहिन स्कूल में 3 शिक्षकों की सालो से तैनाती है।
बदरवास विकासखंड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय अखाई महादेव के छात्र संख्या वर्तमान में 2 है और शिक्षा विभाग इन छात्रों को भविष्य बनाने के लिए तैनात कर दिए 3 शिक्षक। इस मामले को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। विभाग जब इस मामले को लेकर समाचार प्रकाशित किए तो विभाग में हलचल तेज हुई तो बीईयो ने सीएसी से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। इस स्कूल में छात्र संख्या 2 आई है।
इस मामले में जानकारी मिल रही है। कि निचले स्तर से लगातार सूचना विभाग को भेजी जा रही थी कि विद्यालय में छात्र संख्या शून्य हैं और शिक्षक अधिक हैं फिर भी न जाने अधिकारी कौन से नींद में रहे कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान ही नहीं दिया। इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग के ब्लॉक से लेकर जिले के अधिकारियों की घोर लापरवाही रही कि दो बच्चों पर तीन शिक्षक पदस्थ रहे और इनके वेतन पर लाखों रुपए बांटकर सरकारी धन का दुरुपयोग होते देखते रहे।
कई स्कूल शिक्षक विहीन-यहां 2 पर 3 शिक्षक
जिले और बदरवास विकासखंड में वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित अनेक विद्यालय शिक्षक विहीन हैं मतलब बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल तो है लेकिन शिक्षक ही पदस्थ नहीं हैं।कई विद्यालय अधिक छात्र संख्या होने के बाद भी एक शिक्षक हैं। कहने का मतलब सीधा है कि बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं जो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर बदरवास ब्लॉक मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर ग्राम अखाई महादेव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में विभाग की घोर लापरवाही और अनदेखी का अजीब कारनामा है जहां स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या तो दो है और विभाग ने इतनी मेहरबानी और दरियादिली दिखाई कि इन दो बच्चों को पढ़ाने हेतु तीन शिक्षक पदस्थ कर दिए हैं। यह तीन शिक्षक भी कई वर्षों से इसी विद्यालय में पदस्थ हैं। गौर करने वाली बात है कि इन दो बच्चों को तीन शिक्षक कैसे पढ़ा रहे होंगे ये हैरान करने बाला और जांच का विषय है। मीडिया के खबर प्रकाशन के बाद इस विद्यालय को बंद कर शिक्षकों को अन्य जगह पदस्थ करने की हलचल तेज हो गई है।
गौरतलब है कि सत्र 2021 22 में इस विद्यालय में कुल छात्र संख्या तीन थी और सत्र 2022 23 में ये संख्या दो रह गई।वर्तमान सत्र में इस स्कूल में किसी भी बच्चे ने प्रवेश नहीं लिया है तो संख्या दो की दो ही रही। कई वर्षों से विभाग के अधिकारियों को लगातार सूचना और जानकारी पहुंच रही है कि इस विद्यालय में शिक्षक अधिक और छात्र कम हैं फिर भी विभाग के ब्लॉक से लेकर जिला और प्रदेश के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं और इस और कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। जबकि इन्हीं शिक्षकों को अन्य शिक्षक विहीन या अधिक छात्र संख्या वाले जरूरतमंद विद्यालयों में भेजा जाता तो वहां के बच्चों को लाभ मिलता।
शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही और अनदेखी का इससे बड़ा और क्या उदाहरण मिलेगा कि अखाई महादेव के सरकारी स्कूल में पदस्थ इन तीनों शिक्षकों को मिलाकर लगभग पंद्रह लाख रुपए सालाना इन को विभाग वेतन के बांटता रहा। सरकार के खजाने को लगभग 15 लाख रुपए सालाना का अनावश्यक नुकसान बिना पढ़ाए वेतन देने पर होता रहा और विभाग के अधिकारी सब जानकारी होते हुए भी आंखों पर पट्टी बांधे धृतराष्ट्र बने रहे और घोर लापरवाही करते रहे।
इनका कहना है
मामला सज्ञान में आया तो पड़ताल की तो सीएससी से रिपोर्ट मांगी जो विगत तीन वर्ष से यथा सिथति में है अब सीएसी की रिपोर्ट के आधार पर उक्त तीनों शिक्षकों को अन्य स्थान पर स्थात्रित एव उस स्कूल को बंद करने के प्रतिवेदन जिला मुख्यालय भेजा है
रोहित कुमार,शिक्षा विकास खण्ड अधिकारी बदरवास
बदरवास विकासखंड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय अखाई महादेव के छात्र संख्या वर्तमान में 2 है और शिक्षा विभाग इन छात्रों को भविष्य बनाने के लिए तैनात कर दिए 3 शिक्षक। इस मामले को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। विभाग जब इस मामले को लेकर समाचार प्रकाशित किए तो विभाग में हलचल तेज हुई तो बीईयो ने सीएसी से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। इस स्कूल में छात्र संख्या 2 आई है।
इस मामले में जानकारी मिल रही है। कि निचले स्तर से लगातार सूचना विभाग को भेजी जा रही थी कि विद्यालय में छात्र संख्या शून्य हैं और शिक्षक अधिक हैं फिर भी न जाने अधिकारी कौन से नींद में रहे कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान ही नहीं दिया। इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग के ब्लॉक से लेकर जिले के अधिकारियों की घोर लापरवाही रही कि दो बच्चों पर तीन शिक्षक पदस्थ रहे और इनके वेतन पर लाखों रुपए बांटकर सरकारी धन का दुरुपयोग होते देखते रहे।
कई स्कूल शिक्षक विहीन-यहां 2 पर 3 शिक्षक
जिले और बदरवास विकासखंड में वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित अनेक विद्यालय शिक्षक विहीन हैं मतलब बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल तो है लेकिन शिक्षक ही पदस्थ नहीं हैं।कई विद्यालय अधिक छात्र संख्या होने के बाद भी एक शिक्षक हैं। कहने का मतलब सीधा है कि बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं जो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर बदरवास ब्लॉक मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर ग्राम अखाई महादेव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में विभाग की घोर लापरवाही और अनदेखी का अजीब कारनामा है जहां स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या तो दो है और विभाग ने इतनी मेहरबानी और दरियादिली दिखाई कि इन दो बच्चों को पढ़ाने हेतु तीन शिक्षक पदस्थ कर दिए हैं। यह तीन शिक्षक भी कई वर्षों से इसी विद्यालय में पदस्थ हैं। गौर करने वाली बात है कि इन दो बच्चों को तीन शिक्षक कैसे पढ़ा रहे होंगे ये हैरान करने बाला और जांच का विषय है। मीडिया के खबर प्रकाशन के बाद इस विद्यालय को बंद कर शिक्षकों को अन्य जगह पदस्थ करने की हलचल तेज हो गई है।
गौरतलब है कि सत्र 2021 22 में इस विद्यालय में कुल छात्र संख्या तीन थी और सत्र 2022 23 में ये संख्या दो रह गई।वर्तमान सत्र में इस स्कूल में किसी भी बच्चे ने प्रवेश नहीं लिया है तो संख्या दो की दो ही रही। कई वर्षों से विभाग के अधिकारियों को लगातार सूचना और जानकारी पहुंच रही है कि इस विद्यालय में शिक्षक अधिक और छात्र कम हैं फिर भी विभाग के ब्लॉक से लेकर जिला और प्रदेश के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं और इस और कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। जबकि इन्हीं शिक्षकों को अन्य शिक्षक विहीन या अधिक छात्र संख्या वाले जरूरतमंद विद्यालयों में भेजा जाता तो वहां के बच्चों को लाभ मिलता।
शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही और अनदेखी का इससे बड़ा और क्या उदाहरण मिलेगा कि अखाई महादेव के सरकारी स्कूल में पदस्थ इन तीनों शिक्षकों को मिलाकर लगभग पंद्रह लाख रुपए सालाना इन को विभाग वेतन के बांटता रहा। सरकार के खजाने को लगभग 15 लाख रुपए सालाना का अनावश्यक नुकसान बिना पढ़ाए वेतन देने पर होता रहा और विभाग के अधिकारी सब जानकारी होते हुए भी आंखों पर पट्टी बांधे धृतराष्ट्र बने रहे और घोर लापरवाही करते रहे।
इनका कहना है
मामला सज्ञान में आया तो पड़ताल की तो सीएससी से रिपोर्ट मांगी जो विगत तीन वर्ष से यथा सिथति में है अब सीएसी की रिपोर्ट के आधार पर उक्त तीनों शिक्षकों को अन्य स्थान पर स्थात्रित एव उस स्कूल को बंद करने के प्रतिवेदन जिला मुख्यालय भेजा है
रोहित कुमार,शिक्षा विकास खण्ड अधिकारी बदरवास