BRC का आधा करोड़ का कंटनजेंसी घोटाला साइबर क्राइम है, IPC की धारा 420,467,468 में होनी थी FIR ,लेकिन यहां सस्पेंड भी नही

Bhopal Samachar
Ex-Rey ललित मुदगल @ शिवपुरी। बदरवास बीआरसी अंगद सिंह का कंटननेंसी घोटाला साइबर अपराध की श्रेणी में आता है किसी व्यक्ति के अधिकारिक बैंक खाते से ओटीपी लेकर पैसा निकालना साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध पर पुलिस में एफआईआर होनी चाहिए,लेकिन अंगद सिंह तोमर के मामले में ऐसा नहीं हुआ। एफआईआर तो दूर की बात है सस्पेंड भी नही किया। जांच सिद्ध होने के बाद कार्यवाही भी की गई। ऐसा लग रहा है कि शिवपुरी का जिला प्रशासन अंगद सिंह को इस घोटाले से बचाना चाहता है-अब सवाल बनता है कि ऐसा क्यों इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं है लेकिन सटीक प्रश्न सभी के पास है कि अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं

पहले समझे मामले को हुआ क्या था
विकासखंड बदरवास के सरकारी स्कूलों में राज्य शिक्षा केन्द्र से एस.एम.सी. के खातों में विद्यालयों के मैनेजमेंट एंव बच्चों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने हेतु शाला कंटनजेंसी राशि जारी की गई थी। जिसे व्यय करने का अधिकार शाला के प्रधान शिक्षक एवं एक अन्य शिक्षक को था। लेकिन बी.आर.सी.कार्यालय बदरवास के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा शिक्षकों से OTP पूछकर कंटनजेंसी राशि का चिन्हित फर्मों को भुगतान कर दिया।

इसको सरल भाषा में लिखने का प्रयास करते है इस राशि को निकालने का अधिकार केवल स्कूल के हेडमास्टर साहब को था। इस बार राज्य शिक्षा केन्द्र ने नियम को बदल दिया था इससे पूर्व शिक्षक स्वयं चेक के माध्यम से इस राशि का खर्च करता था लेकिन इस बार आनलाइन भुगतान करना था और भुगतान के समय खाते में दर्ज ओटीपी दर्ज कर भुगतान होना था,इसी नियम की जानकारी शिक्षकों को नही थी इसी बात का फायदा उठाकर डीपीसी बदरवास आफिस ने इस साइबर अपराध कर दिया।

प्रदेश स्तर तक रही इस घोटाले की गूंज-दो बार जांच हुई

आधा करोड़ के इस फ्रॉड की गूंज डीपीसी कार्यालय से लेकर जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर शिवपुरी सहित प्रदेश स्तर तक रही। शिवपुरी समाचार ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। डीपीसी शिवपुरी ने इस मामले में जांच के आदेश का चार सदस्यीय समिति का गठन किया। शिकायतकर्ता शिक्षकों के बयान दर्ज हुए। जांच सिद्ध हुई फिर बचाने के प्रयास किया गया पुन:बयान लिए फिर वही बयान आए दो बार इस मामले की जांच सिद्ध हो चुकी है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

आप ऐसा करते तो क्या होता

भारत की दंड संहिता की बात करे तो किसी व्यक्ति से झूठ बोलकर लालच देकर ओटीपी लेकर पैसा बैंक खाते से ट्रांसफर किया जाता है तो आरोपी पर आईपीसी की धारा 420,467,468,471 में मामला दर्ज होता। अगर पैसा शासकीय है तो इस में अन्य धाराओं में इजाफा होता-यह जब होता जब आप यह अपराध करते,लेकिन यह अपराध सरकारी मास्टर अंगद सिंह तोमर ने किया है इसलिए इस अपराध को जांच के नाम पर लटका दिया गया है।

अधिकारियों के चरण चुंबन करने वाले इस मास्टर ने चार साल तक अपने स्कूल की शक्ल नहीं देखी और वेतन भी लेता रहा है। यह ताकत होती है चरण चुंबन करने। अगर शिवपुरी के सभी शिक्षक अंगद सिंह तोमर की पद्धति का इस्तेमाल करने लगे,अपने मूल कर्तव्य का त्याग कर अधिकारियों के चरणों को धोकर पीने लगे तो शिवपुरी के सभी स्कूलों में ताले नजर आऐगें।

इस घोटाले मे उपयोग हुए मोबाइल का जब्त होना चाहिए

इस घोटाले में उपयोग किए गए मोबाइल को जब्त होना चाहिए,वही जिस खाते में पैसा ट्रांसफर हुआ है उन पर भी मामला दर्ज होना चाहिए। जब यह घोटाला बहार आया था उसके बाद डीपीसी कार्यालय शिक्षको को नगद पैसा वापस करने की प्रक्रिया को अंजाम देना भी शुरू कर दिया था लेकिन कई शिक्षकों ने यह पैसा वापस ले भी लिया गया कई शिक्षकों ने यह पैसा लिया भी नहीं था।

यह घोटाला आईने की तरफ साफ है लेकिन कार्रवाई जीरो होने के कारण इसकी चर्चा शासकीय गलियारो से होकर आम जनमानस तक है अब इस घोटाले में फसे अंगद सिंह तोमर और उनकी मंडली का कार्रवाई नहीं होने के कारण जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर उंगली उठने लगी है।
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