सोनू सैन करैरा। खबर शिवपुरी जिले के स्वास्थ्य विभाग को हकीकत को बयां कर रही है। सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सरकार कई योजनाओं का संचालन कर रही है। लेकिन यह योजनाएं धरातल पर कितना काम कर रही है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण समाने मिल रहा है। करैरा के एक गांव में प्रसूता को प्रसव पीड़ा होने पर 108 को कॉल किया वह नही आई तो प्रसूता और उसका पति पैदल ही अस्पताल निकल दिए। रास्ते में प्रसूता को तेज दर्द हुआ तो खुले आसमान के रोड किनारे ही उसकी डिलीवरी हो गई।
जानकारी के अनुसार करैरा विकासखंड के ग्राम मुहार में रहने वाले नरेंद्र परिहार की पत्नी को प्रसव होना था। सोमवार की शाम जब उसे घर में प्रसव पीड़ा होना शुरू हुई तो अस्पताल ले जाने के लिए नरेंद्र ने 108 को कॉल किया। जब लंबे इंतजार के बाद शासन की यह सुविधा नहीं पहुंची तो नरेंद्र व उसकी पत्नी पैदल ही करैस अस्पताल जाने के लिए चल दिए।
प्रसव से पूर्व पति के साथ पैदल चल रही नरेंद्र की पत्नी को रात्रि लगभग 9 बजे करैरा बाईपास पर आकर एकाएक तेज दर्द उठने लगा। पत्नी को दर्द से तड़पता देख नरेंद्र को कुछ समझ नहीं आया, जबकि उसकी पत्नी सड़क किनारे घास पर लेटकर दर्द से चिल्ला रही थी। उसकी आवाज बाईपास रोड के पास रहने वाली महिलाओं ने सुनी तो वे समझ गई कि यह दर्द किसी प्रसूता का है, तो वे अपने घरों से साड़ी लेकर उसके पास पहुंची और साड़ियों का घेरा बनाकर महिला का प्रसव कराया।
बिना देर किए घर से एक.एक साड़ी लेकर वहां पहुंच गई। इन महिलाओं ने यहां खुले आसमान के नीचे साड़ियों घेरा बनाकर उसमें सुरक्षित प्रसव कराया। बाद में महिला व उसके नवजात शिशु पुत्र को गांव की एक गाड़ी से करैरा अस्पताल पहुंचाया गया। सीबीएमओ करैरा डॉ प्रदीप शर्मा का कहना है कि रात में लाए गए जच्चा.बच्चा अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही दोनों स्वस्थ हैं। 108 का संचालन सीधे भोपाल से ही होता है।
गांव से आई गाड़ी, ले गई अस्पताल
इसी बीच टीला गांव के एक व्यक्ति अपना चार पहिया वाहन लेकर आया और महिला व नवजात सहित नरेंद्र को लेकर वो करैरा अस्पताल पहुंचा। जहां पर प्रसूता व उसके नवजात शिशु को भर्ती कर लिया गया। जच्चा.बच्चा दोनों स्वस्थ बनाए गए हैं।