Shivpuri News- 12 साल से कुपोषण से जंग लड़ रहे कर्मचारियों के अधिकारों का शोषण, बाबू और ठेकेदार ने रची बेरोजगार करने की तैयारी

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शिवपुरी।
शिवपुरी में पिछले 12 सालो से कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रही कर्मचारियों का शोषण का मामला सामने आया हैं। बेरोजगारी दंश झेल रही भाजपा सरकार के लिए भी यह अच्छी खबर रही हैं। बताया जा रहा है कि शिवपुरी में NRC में अपनी सेवाएं दी जाने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है,और नई नियुक्तियां की जा रही हैं सभी कर्मचारी अपनी व्यथा बताने CMHO कार्यालय पहुंची जहां उनकी किसी ने नहीं सुनी।

जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2007-08 में पडोसी जिले श्योपुर में हुई कुपोषित बच्चों की मौत का मामला शांत नहीं हुआ हैं। शिवपुरी जिले के तत्कालीन कलेक्टर डॉ मनोहर अगनानी के प्रयासों से कुपोषित बच्चों के पुनर्वास के लिए कुपोषण पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना की गई। इन केन्द्रों का शुरूआती दौर में समाज सेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालन कराया गया।

उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इनके संचालन की जवाबदेही संभाली और समाज सेवी संस्थाओं द्वारा नियुक्त किए गए स्टाफ को अनुभवी मानते हुए सेवा में निरंतर रखा गया। इसका भुगतान रोगी कल्याण समिति के मद से किया जाने लगा। बर्ष 2017 में मध्य प्रदेश शासन ने पृथक से एनआरसी के लिए बजट का प्रबंध किया और उस समय पदस्थ स्टाफ को निरंतर करते हुए नवीन स्टाफ पदस्थापना के लिए नए नियम बनाए गए।

लेकिन बर्ष 2017 में जारी उन नियमों को अपने मनमाफिक तरीके से परिभाषित कर लगभग 12 वर्ष से पदस्थ स्टाफ को सबसे पहले आउटसोर्स पर अर्थात ठेकेदार के अधीन कर दिया दिया गया और उसके बाद हटाए जाने की कबायत स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर प्रारंभ की गई। ठेकेदार के हाथों आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे NRC सपोर्ट स्टाफ को शैक्षणिक दस्तावेज उपलब्ध कराने का मौखिक फरमान दे दिया गया।

इसके साथ ही ठेकेदार फर्म जीवन मित्रा द्वारा नए स्टाफ भर्ती की विज्ञप्ति छपवा कर बटवा दी गई । जिसमें उन स्थानों में भी स्टाफ पदस्थ करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे जहां पहले से स्पोर्ट स्टाफ पदस्थ है। इससे स्पोर्ट स्टाफ के रूप में 12 साल से सेवाएं दे रही करैरा, कोलारस, पिछोर, खनियाधाना की महिला कर्मियों में भय का माहौल बन गया।

कई की जीवन गृहस्थी इसी छोटी सी अस्थाई नौकरी से चलती है जिसके बंद हो जाने से घर के राशन से लेकर बच्चों की शिक्षा पर संकट का आने की कल्पना मात्र से भयभीत होकर स्पोर्ट स्टाफ महिलाएं एवं युवतियां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय जा पहुंची।

जहां चेहरों पर चिंता की लकीरें लिए बदहबास सी खडी यह महिलाएं से जब हमारे संवाददाता ने बात की तो उन्होंने नाम न छापने की विनय कर बताया कि उन्हें सालों काम करने के बाद बेरोजगार करने का कार्य एक बाबू की सांठगांठ से ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। उनके द्वारा आज नए आवेदन करने वालों के साथ पुराने कर्मचारियों को भी बुलाया गया है। हालांकि सुबह से भूखे प्यासे बैठे महिला कर्मचारियों की सुनने के लिए कोई अधिकारी और न ही बाबू उपलब्ध था।
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