200 रू प्रति बाइक से शुरू कर्मपथ, 12 दिग्गज कंपनी के चैनल पार्टनर, 24 करोड़ की टर्नओवर की फर्म के डारेक्टर हैं सौरभ नायक

Bhopal Samachar
शिवपुरी। हमारे समाज में एक कहावत है कि बूंद बूंद से घडा भरता हैं,ऐसे ही शिवपुरी के एक युवा जो स्टूडेंट लाइफ से शुरू किया गया जरूरत के लिए एक प्रयास शिवपुरी के व्यापारियो के लिए जरूरत बन गया। ग्वालियर के  ऐजेंसी में 200 रुपए प्रति बाईक के कमीशन से सेल करने वाले सौरभ नायक आज फाइनेंस सेक्टर में सनातन एसोसिएट के डायरेक्टर के रूप में 2 करोड़ रुपए प्रतिमाह का सफर बड़ा उतार चढ़ाव और चुनौतियों भरा रहा हैं। अपनी पढ़ाई और आवश्यकता की पूर्ति के लिए पार्ट टाईम किया गया जाॅब आज शिवपुरी के फाइनेंस से कमजोर व्यापारियो के लिए जरूरत का जाॅब बन गया हैं। सौरभ नायक के इस प्रेरणा भरे संघर्ष के कर्म पथ के विषय में शिवपुरी समाचार डाॅट काॅम ने बातचीत की

नाम सौरभ नायक उम्र 34 साल पिता महेन्द्र नायक शिक्षक,माता श्रीमती कल्पना नायक शासकीय कर्मचारी के छोटे पुत्र सौरभ जब ग्वालियर अपनी ऐजुकेशन के लिए गए तो अपनी जरूरत के लिए पार्ट टाइम जॉब करने का विचार आया,किसी मित्र ने बताया कि ए एस मोटर्स ग्वालियर  पर सेल्समैन की आवश्यकता हैं,पहुंच गए बात करने उम्र थी मात्र 17 साल एजेंसी मालिक को विश्वास नहीं हुआ तय हुआ टू व्हीलर गाड़ी सेल करने पर 200 रुपए कमीशन यहां से नींव पडी कर्म पथ की।

सौरभ ने बताया कि शुरुआत में ग्राहको से बातचीत करने में परेशानी हुई लेकिन धीरे धीरे कंपनी के अफसरों से बाइको के विषय में जाना कि हमारी कंपनी की गाड़ी दूसरी कंपनी गाड़ियों से क्यों बेहतर है जब धारा प्रवाह बोलने में आ गया उसके बाद प्रतिदिन बाइक सेल होने लगी। कंपनी के ऑफिसर ने बताया कि पहले ग्राहक की सुनो की वो बाइक में क्या चाहता हैं उसकी बात खत्म करने के बाद ही अपनी बात शुरू करो इसी मंत्र के साथ जब काम करना शुरू किया तो एक बच्चा एएस मोटर्स  शोरूम का बेस्ट सेल्समैन में हो गया।

हमारे शोरूम पर एचडीएफसी टू व्हीलर फाइनेंस करने वाले कर्मचारी भी हमारे साथ बैठते थे। जब एचडीएफसी फाइनेंस कंपनी के अफसरों की मेरे पर नजर पडी ओर उन्होने मेरे काम को देखा तो मुझे एचडीएफसी कंपनी में जॉब ऑफर हुई वह भी मेरे होमटाउन शिवपुरी में,कमीशन से सैलरी विश्वास नही होता। सौरभ ने बताया कि उसकी सबसे पहली नौकरी एचडीएफसी के टू व्हीलर फाइनेंस कंपनी से शुरू हुई आफिस था शिवपुरी का एचडीएफसी बैंक और सैलरी थी 20 हजार रुपए प्रतिमाह।

एचडीएफसी की नौकरी में फाइनेंस के पूरे गुण सीखने को मिल गए उसके बाद ग्वालियर में बजाज कंपनी में जाॅब शुरू हुई। बजाज कंपनी में लगातार 8 साल काम किया। बजाज फाइनेंस में ऐजुकेटिव की पोस्ट से सेल्स एजूकेटिव,इसके बाद अस्टिेंट मैनेजर फिर मैनेजर के रूप में प्रमोशन हुआ 8 साल में चार प्रमोशन एक की कंपनी में एक ही जगह मिले।
हमारा ग्वालियर डिवीजन पूरे मप्र में टाॅप रहता था। मैं बजाज कंपनी में सबसे कम उम्र का मैनेजर था कंपनी ने मेरे वर्क को देख मुझे कई विदेश यात्रा दी। जिसमें इंग्लैंड की यात्रा मेरे यादगार यात्रा में से एक थी।

प्राइवेट सेक्टर में आगे की पोस्ट प्राप्त करने के लिए कंपनी चेंज की जाती हैं। इसके बाद इंडिया बुल्स कंपनी में सेल्स एरिया मैनेजर के रूप में नौकरी ज्वाइन की एक साल बाद कोरोना का ग्रहण हमारे देश में लग गया,मेरे जैसे कई रोजगार वाले युवा जाॅब लेस हो गए। कोरोना काल खत्म हो गया लेकिन बेरोजगारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी,जो व्यक्ति 16 घंटे प्रतिदिन काम करता था और 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए प्रतिमाह कमाता था अब काम नहीं और इंकम भी खत्म,ऐसा लगता था कि अब कुछ बचा नहीं हैं,केवल फाइनेंस सेक्टर में काम आता हैं कुछ और कर नहीं सकते थे।  

मेरे जाॅब के जीवन में मेरे आदर्श संदीप सचदेवा रहे थे वह व्यक्ति था जिसने मेरे काम करने के तरीके को बदला मुझे रणनीति बनाना सिखाया था और ऐजुकेटिव की पोस्ट से एरिया मैनेजर तक पहुंचने में मेरी मदद की थी, जब जॉब नहीं मिल रही थी तो उनसे फोन पर बात की तो उन्होने मुझे फिर आगे बढने का स्त्रोत बताया इस प्रकार 2 साल पूर्व सनातन ऐसोसियेट की स्थापना की गई।

सनातन ऐसोसिएट के विषय में बताया कि हमारी फर्म लाॅन बाटने वाली कंपनियो की चैनल पार्टनर हैं हम लोन लेने वाले ग्राहक और कंपनी के बीच की मध्यस्थता का काम करते हैं। सनातन एसोसिएट होम लोन,बिजनेस लोन,सीसी लिमिट,ओडी लिमिट,टर्म लाॅन,बिना प्रॉपर्टी के लोन शहर के व्यापारियो को दिलवाने में मदद करते हैं।
वर्तमान समय में हमारे एसोसिएट के  साथ देश की 12 दिग्गज फाइनेंस कंपनी जुड चुकी है और शिवपुरी में प्रतिमाह छोटे और बड़े व्यापारियों को लगभग 2 करोड़ रुपए का लोन दिया जाता हैं जो एक बहुत बडा अचीवमेंट हैं।

भाग्य पर विश्वास या कर्म पर
उन्होने बताया दोनो पर,सौरभ ने कहा कि मेरा मनुष्य जीवन में जन्म लेना और अच्छे माता पिता के यहां जन्म लेना मेरा भाग्य है और 200 रुपए प्रति गाडी कमीशन से काम शुरू कर देश की दिग्गज कंपनी का चैनल पार्टनर बनने का सफर मेरा कर्म हैं।

सफलता के सबसे ज्यादा आवश्यक एक शब्द में पूछा तो बताया अनुशासन,सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया कि हर जगह हर निर्णय पर आंखें बंद कर विश्वास किया। 200 रुपए के सफर से आज सालाना 24 करोड़ के टर्न ओवर तक पहुँचने के संघर्ष के विषय में बताया कि सोचा ही नही था कि इतना मिलेगा,लेकिन प्रतिदिन चले,कुछ ना कुछ किया। जाॅब के समय में हमारे लिए सूर्य भगवान दिन नहीं लाते थे एक टारगेट लेकर आते थे। उस टारगेट को पूरा करना हमे होता था।

सौरभ नायक से प्रश्न किया कि वर्तमान शिक्षा जो स्टूडेंट किताबों से लेता है और नैतिक शिक्षा में क्या अंतर पाते हैं। सौरभ नायक ने बताया कि किताबी ज्ञान हमे इंटेलिजेंट बना सकती हैं लेकिन मैच्चैयर नही। आप कितना पढ़े लिखे हैं यह समाने वाला नहीं जानता लेकिन आपका बात करने का सलीका,उसको मदद करने का प्रयास,कंपनी से अधिक से अधिक फायदा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी हैं अगर आप में ईमानदारी है आप का व्यवहार और सोच सही है तो आप कितना पढे लिखे है इससे सामने वाले को कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन आप के नैतिक आचरण सही है तो एक उच्चतम पढे लिखे व्यक्ति के बराबर या उससे अधिक सम्मान आपको प्राप्त होगा।



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