Shivpuri news - श्वेताम्बर जैन समाज के पर्यूषण पर्व भक्ति और श्रृद्धा के साथ प्रारंभ

Bhopal Samachar

शिवपुरी। जैन समाज के 8 दिन तक चलने वाले आध्यात्मिक पर्व पर्युषण पर्व का आज परम्परागत उत्साह भक्ति भावना और श्रद्धा के साथ शुभारंभ हुआ। इस बार आचार्य कुलचंद्र सूरि जी महाराज साहब और साध्वी शासन रत्ना श्री जी महाराज साहब के चार्तुमास के कारण पर्यूषण पर्व में विशेष रंगत और उत्साह नजर आ रहा है। 

पर्यूषण पर्व के पहले दिन जैन स्थानक में मुनि श्री कुलरक्षित श्री जी ने और पंन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजय जी ने आराधना भवन में प्रवचन देकर पर्यूषण पर्व की महता पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। पहले दिन जैन स्थानक में अंतगढ़ सूत्र और आराधना भवन में अष्टालिका सूत्र का वाचन हुआ।

आत्मा की चिंता करने का पर्व है पर्यूषण : संत कुलदर्शन
आराधना भवन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि पर्यूषण पर्व आत्मा की परवाह करने का पर्व है। पूरे सालभर हम शरीर की चिंता करते हैं। इन 8 दिनों में आत्मा को परिमार्जित और शुद्ध शरीर को तपाकर करें। आत्मा को संभालने और आत्मरूपांतरण का पर्व पर्यूषण है। 

उन्होंने बताया कि हमारा पर्यूषण पर्व मनाना तब सार्थक है, जब हम प्रतिक्रमण, प्रवचन, पच्चक्खान, प्रशम और प्रायश्चित से अपनी आत्मा को तपाएं। उन्होंने क्षमा को पर्यूषण पर्व की आत्मा बताया और कहा, जब कि हम संसार के समस्त प्राणियों से अपने ज्ञात और अज्ञात अपराधों के लिए क्षमा नहीं मांगते तब तक हमारा पर्यूषण पर्व मनाना व्यर्थ है। पर्यूषण पर्व के प्रमुख कर्तव्यों में उन्होंने अहिंसा को प्रथम कर्तव्य बताया और कहा कि संसार के समस्त प्राणियों की साता और समाधि के लिए हमें प्रयास करना चाहिए और ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे उनकी साता और समाधि बिगडे। इससे पूर्व चार्तुमास कमेटी के अध्यक्ष तेजमल सांखला, उप संयोजक प्रवीण लिगा, मुकेश भंडावत, दशरथमल सांखला, जिवय पारख, रौनक कोचेटा, प्रदीप सांखला सहित समस्त समाज के स्त्री और पुरूषों ने जैन संतों को वंदन कर उनसे आर्शीवाद लिया।

पर्यूषण पर्व लौकिक नहीं बल्कि अलौकिक पर्व है : मुनि श्री कुलरक्षित
पोषद भवन में मुनि श्री कुलरक्षित विजय जी ने अपने उदबोधन में बताया कि समस्त पर्वों में पर्यूषण पर्व विशिष्ट है। इसलिए इसे पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व कहते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य पर्व जहां लौकिक होते हैं। उनमें वस्त्रों और खाने पीने की चिंता की जाती है। वहीं पर्यूषण पर्व अलौकिक पर्व है।

 जिसमें अपनी आत्मा की परवाह की जाती है। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में हमेें यथा संभव व्रत उपवास करना चाहिए। इसके अलावा समता धारण करनी चाहिए। हमारे द्वारा किसी जीव की हिंसा न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। जिन लोगों से हमारे कलुषित संबंध हैं, उनसे क्षमा याचना करना चाहिए। इसके अलावा वर्षभर में जो भी अपराध हमसे हुए हैं।

 उन अपराधों का प्रायश्चित करना चाहिए। धर्म सभा में उनके साथ नवोदित मुनि कुलधर्म श्री जी भी मौजूद थे। प्रवचन के पूर्व स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा, पंकज गुगलिया, अशोक गुगलिया, सुमत कोचेटा, राजकुमार जैन, ऋषभ जैन सहित अन्य जैन धर्मावलंबियों ने वंदन कर महाराज श्री से आर्शीवाद ग्रहण किया।

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