तप में इतना बल है कि नारायण भी नर बनकर आते हैं पृथ्वी पर: शास्त्री- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शीतला माता मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास ब्रजेश शास्त्री ने माता-पिता की सेवा करने का महत्व बताया और कहा कि जो इस पुण्य कार्य में भागी होते हैं, उनकी मुठ्ठी में पुण्य के चारों पदार्थ अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष होते हैं।

कमाया हुआ धन तो खर्च हो जाता है लेकिन भक्ति से कमाया हुआ कभी खर्च नहीं होता, वह दिन प्रतिदिन बढ़ता है। हम बड़े सौभाग्यशाली है जिनको श्रीमद भागवत कथा सुनने का अवसर मिला है। भगवान का आश्रय ही इस दुर्लभ जीवन के लिए सबसे बड़ा रक्षा कवच है।

तप में इतना बल है कि नारायण भी नर बनकर आते हैं पृथ्वी पर: शास्त्री

कमलेश्वर मंदिर पर शास्त्री गौरव कृष्ण शास्त्री ने कपिल देवहूति प्रसंग सुनाते हुए गृहस्थी का महत्व बताया शास्त्री ने कहा कर्दम ऋषि ने हजारों वर्ष तपस्या की और उनके तप का इतना बल था कि नारायण को नर रूप में उनका पुत्र बनकर आना पड़ा।

लेकिन ऋषि कर्दम ने मायाजाल से दूर रहकर भगवान कपिल की आज्ञा से तप करने का निर्णय लिया। गृहस्थ जीवन में भी हमेशा धर्म के साथ चलने के लिए धर्म ग्रंथों को पढ़ना सुनना चाहिए। कर्दम ऋषि के जाने के बाद कपिल की माता देवहूति ने बेटे कपिल जो स्वयं नारायण के अवतार थे से ज्ञान की शिक्षा ली।

महाराज श्री ने कहा की कथा को हमें एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए और जितने विश्वास के साथ हम भगवान की कथा सुनते हैं। उतना ही फल हमें अधिक प्राप्त होता है और दुनिया में कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो भगवान की कथा से बड़ा है।
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