शिवपुरी। 100 वर्ष पूर्व मेरे कुल गुरु आचार्य विजयधर्म सूरि जी ने शिवपुरी की पुण्य धरा को अपनी समाधि भूमि के रूप में चुना था। अब मैं अपने कुल गुरु आचार्य विजय धर्म सूरि जी की समाधि भूमि को धर्म भूमि बनाने के लिए आया हूं। शिवपुरी चार्तुमास के अवसर पर पूज्य गुरू विजयधर्म सूरि जी का उनकी समाधि स्थल समाधि मंदिर पर 9 सितंबर से 19 सितम्बर तक 11 दिवसीय भव्य आयोजन किया जाएगा।
जिसमें अनेक धार्मिक कार्यक्रम, तप, जप, पूजा, शिविर और धार्मिक अनुष्ठान होंगे। उक्त उदगार शिवपुरी की धर्म प्रेमी जनता को चार्तुमास का लाभ देने के लिए पधारे प्रसिद्ध जैनाचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज ने कोर्ट रोड स्थित श्वेतांबर पार्श्वनाथ जैन मंदिर के आराधना भवन में आयोजित एक विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए।
इस अवसर पर पन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजय जी महाराज ने अपने उदबोधन में पूरे चार्तुमास की रूपरेखा खीची और बताया कि गुरूदेव आचार्य कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज साहब के चार्तुमास के अवसर पर 5 धार्मिक शिविर, 17 पूजन और सामूहिक सिद्धि तप की आराधना सहित अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
धर्म सभा के पूर्व नगर के प्रमुख मार्गों से जैनाचार्य श्री कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज की भव्य चल यात्रा गुजरी। जिसका स्थान-स्थान पर धर्माबलंबियों ने धर्म जाति और सम्प्रदाय की सीमाओं को तोड़ते हुए अभूतपूर्व स्वागत किया। स्वागत समारोह में समाजसेवी संस्थाओं और शहर के गणमान्य नागरिकों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।
आचार्य कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज साहब के शिवपुरी में चार्तुमास प्रवेश हेतु चल यात्रा समाधि मंदिर से प्रारंभ हुई। चल यात्रा को जैन समाज ने शाही रूप दिया था। जिसमें बैंड, बाजे, शहनाई, ढोलक, घोड़े, बग्घी की उपस्थिति ने चारचांद लगा दिए थे। चार्तुमासिक प्रवेश के भव्य कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से भी सैकड़ों श्रावक और श्राविकाएं बड़ी संख्या में चल समारोह में उपस्थित थीं। महिलाएं, पुरुष और बच्चे जैन संत और साध्वियों के साथ अनुशासित ढंग से चल रहे थे। स्थान-स्थान पर आचार्य श्री का स्वागत किया गया।
चल समारोह समाधि मंदिर से प्रारंभ होकर निचला बाजार, सदर बाजार, माधव चौक, गांधी चौक और कोर्ट रोड होता हुआ धर्मसभा स्थल आराधना भवन पहुंचा। धर्मसभा का प्रारंभ जैन समाज की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया और फिर नन्ही बालिकाओं ने नृत्य के माध्यम से गुरु भगवंतों का स्वागत किया। इसके पश्चात धर्मसभा में श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला ने गुरु भगवंतों को नमन कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
चार्तुमासिक कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला ने गुरुदेव श्री कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि गुरु भक्ति आचार्य श्री के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी देन है। उनके पश्चात कार्यक्रम के लाभार्थी राजेश पारख ने अपनी भावनाएं सुंदर रूप में व्यक्त की और कहा कि गुरु का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है।
पन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजय जी महाराज साहब ने धर्म प्रेमियों को उपदेश देते हुए बताया कि इस चार्तुमास के अवसर पर वह गुरू धर्म का स्मरण रखें। जिनकी समाधि के शताब्दी वर्ष में यह चार्तुमास हो रहा है। इसके अलावा भक्ति, ज्ञान और तप को अपने जीवन का अंग बनाएं। उनके उद्बोधन के पश्चात जैन संतों और साध्वियों को कामली पहनने की बोली 10 लाख 21 हजार रुपए में निर्मला बहन-कीर्ति भाई परिवार दिल्ली ने ली।
जिसमें अनेक धार्मिक कार्यक्रम, तप, जप, पूजा, शिविर और धार्मिक अनुष्ठान होंगे। उक्त उदगार शिवपुरी की धर्म प्रेमी जनता को चार्तुमास का लाभ देने के लिए पधारे प्रसिद्ध जैनाचार्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज ने कोर्ट रोड स्थित श्वेतांबर पार्श्वनाथ जैन मंदिर के आराधना भवन में आयोजित एक विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए।
इस अवसर पर पन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजय जी महाराज ने अपने उदबोधन में पूरे चार्तुमास की रूपरेखा खीची और बताया कि गुरूदेव आचार्य कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज साहब के चार्तुमास के अवसर पर 5 धार्मिक शिविर, 17 पूजन और सामूहिक सिद्धि तप की आराधना सहित अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
धर्म सभा के पूर्व नगर के प्रमुख मार्गों से जैनाचार्य श्री कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज की भव्य चल यात्रा गुजरी। जिसका स्थान-स्थान पर धर्माबलंबियों ने धर्म जाति और सम्प्रदाय की सीमाओं को तोड़ते हुए अभूतपूर्व स्वागत किया। स्वागत समारोह में समाजसेवी संस्थाओं और शहर के गणमान्य नागरिकों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।
आचार्य कुलचंद्र सूरिश्वर जी महाराज साहब के शिवपुरी में चार्तुमास प्रवेश हेतु चल यात्रा समाधि मंदिर से प्रारंभ हुई। चल यात्रा को जैन समाज ने शाही रूप दिया था। जिसमें बैंड, बाजे, शहनाई, ढोलक, घोड़े, बग्घी की उपस्थिति ने चारचांद लगा दिए थे। चार्तुमासिक प्रवेश के भव्य कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से भी सैकड़ों श्रावक और श्राविकाएं बड़ी संख्या में चल समारोह में उपस्थित थीं। महिलाएं, पुरुष और बच्चे जैन संत और साध्वियों के साथ अनुशासित ढंग से चल रहे थे। स्थान-स्थान पर आचार्य श्री का स्वागत किया गया।
चल समारोह समाधि मंदिर से प्रारंभ होकर निचला बाजार, सदर बाजार, माधव चौक, गांधी चौक और कोर्ट रोड होता हुआ धर्मसभा स्थल आराधना भवन पहुंचा। धर्मसभा का प्रारंभ जैन समाज की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया और फिर नन्ही बालिकाओं ने नृत्य के माध्यम से गुरु भगवंतों का स्वागत किया। इसके पश्चात धर्मसभा में श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला ने गुरु भगवंतों को नमन कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
चार्तुमासिक कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला ने गुरुदेव श्री कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि गुरु भक्ति आचार्य श्री के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी देन है। उनके पश्चात कार्यक्रम के लाभार्थी राजेश पारख ने अपनी भावनाएं सुंदर रूप में व्यक्त की और कहा कि गुरु का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है।
पन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजय जी महाराज साहब ने धर्म प्रेमियों को उपदेश देते हुए बताया कि इस चार्तुमास के अवसर पर वह गुरू धर्म का स्मरण रखें। जिनकी समाधि के शताब्दी वर्ष में यह चार्तुमास हो रहा है। इसके अलावा भक्ति, ज्ञान और तप को अपने जीवन का अंग बनाएं। उनके उद्बोधन के पश्चात जैन संतों और साध्वियों को कामली पहनने की बोली 10 लाख 21 हजार रुपए में निर्मला बहन-कीर्ति भाई परिवार दिल्ली ने ली।