शिवपुरी। शिवपुरी में सूअरों का आंतक दिन व दिन जारी है। शहर में लगातार सुअरों की संख्या में इजाफा हो रहा है। शहर की मंत्री के शहर में प्रवेश से पहले नपा को सुअरों को बाहर करने की याद आती है। परंतु जैसे ही मंत्री शहर से चली जाती है। सुअरों को शिवपुरी नगर पालिका खुलेआम विचरण की अनुमति दे देती है। हालात यह है कि शहर के किसी भी कोने में चले जाइए वहां सुअर मिल जाएगे।
एक ओर प्रशासन और राजनेता शहर को साफ स्वच्छ और आकर्षक बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं नगर पालिका की लापरवाही से जिधर देखो उधर शहर में सुअर ही सुअर नजर आते हैं। शहर की कोई कॉलोनी, कोई मोहल्ला, कोई गली, कोई बाजार ऐसा नहीं है, जहां सैकड़ों की संख्या में सुअर निश्चिंत विचरण करते हुए नजर नहीं आते।
प्रतिदिन सैकड़ों सुअर मरते हैं और उनकी बदबू से पूरा क्षेत्र प्रदूषित रहता है। लेकिन नगर पालिका को कोई परवाह नहीं है। खास बात यह है कि अधिकांश सुअर पालक नगर पालिका में कार्यरत हैं। लेकिन उनके खिलाफ न्यायालय के आदेश के बाद भी नगर पालिका कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
सुअर उन्मूलन की राजनेताओं और प्रशासन के दवाब में नगर पालिका ने आधे अधूरे मन से पहल भी की है और इस बहाने शासकीय कोष को लाखों रूपए का चूना लगाया गया है। लेकिन स्थिति फिर भी जस की तस है। हजारों सूअरों को मारने और उन्हें बाहर निकालने के दावे के बावजूद भी शहर में सुअरों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।
नगर पालिका का दावा है कि शहर में 5 हजार सुअर बाहर भेजने के बाद भी अभी भी 9 हजार सुअर विद्मान है। जबकि सच्चाई यह है कि नगर में सुअरों की संख्या 20 हजार से कम नहीं है। ऐसी स्थिति में कैसे शहर स्वच्छ, साफ और आकर्षक शहर की लिस्ट में शुमार होगा, कौन इस बात की गारंटी लेगा।
शहर में सुअरों की समस्या पिछले 10 साल से है। लेकिन अब यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। शिवपुरी विधायक और प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने इस समस्या के उन्मूलन में खासी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने सूअरों को पकड़ने के लिए नगर पालिका को टेंडर लगाने हेतु निर्देशित किया।
लेकिन इसका जब कोई परिणाम नहीं निकला तो फिर सुअर शूटआउट अभियान शुरू किया। हैदराबाद के एक ठेकेदार के नाम यह टेंडर मंजूर हुआ और फिर रात में विभिन्न कंपनियों में सुअरों को बंदूक से निशाना बनाकर मारा गया। इस अभियान के तहत हजारों सुअर मारे गए। लेकिन इसका जब जैन समाज के लोगों ने विरोध किया तो दुखी होकर यशोधरा राजे ने अपने हाथ खड़े कर दिए।
जिसका परिणाम यह हुआ कि शूटआउट अभियान रोक दिया गया और शहर में सुअरों की संख्या फिर दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढने लगी। शूटआउट अभियान के दौरान सुअर पालकों ने अपने सुअरों को शहर से बाहर भेज दिया था। लेकिन अभियान बंद होने के बाद फिर ये सुअर शहर में धमाचौकड़ी मचाने लगे। इस समस्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया।
इसके बाद कुछ अभिभाषक और समाजसेवी माननीय उच्च न्यायालय में पहुंचे। इनमें भाजपा नेता डॉ. राजेंद्र गुप्ता और अभिभाषक संजीव बिलगैंया तथा विजय तिवारी प्रमुख थे। माननीय उच्च न्यायालय ने नगर पालिका को निर्देशित किया कि जो सुअर पालक नगर पालिका में कार्यरत हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
नगर पालिका ने अपनी ओर से एक विज्ञप्ति भी प्रकाशित की कि जिन सुअर पालकों के शहर में सुअर विचरण कर रहे हैं, उन्हें वह हटाएं अन्यथा उन्हें आवारा मानकर उनकी बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इस विज्ञप्ति का भी कोई हल नहीं निकला।
यहां तक कि यशोधरा राजे के निर्देश पर कलेक्टर अक्षय प्रताप सिंह एक सुअर पालक के निवास स्थान पर भी गए थे और उनसे सदभावनापूर्ण लहजे में बातचीत कर उन्हें शहर से सुअर हटाने के लिए कहा था। लेकिन इस पहल का भी कोई असर नहीं हुआ। लेकिन अब नगर पालिका शहर को स्वच्छ बनाने की पहल प्रशासन के निर्देश पर कर रही है। लेकिन ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि शहर कैसे स्वच्छ और आकर्षक बनेगा?
18 लाख रुपए में एक साल में हटाए जाएंगे शहर से सुअर
बताया जाता है कि नगर पालिका ने सूअर को पकड़ने के लिए हाईकोर्ट के दबाव में एक टेंडर विज्ञप्ति प्रकाशित की थी। जिसके तारतम्य में एक ठेकेदार का टेंडर न्यूनतम होने से उसे मंजूर किया गया है। स्वास्थ्य अधिकारी खान के अनुसार शहर में 9 हजार सुअर हैं और इन 9 हजार सुअरों को शहर से 100 किमी छोड़ने का टेंडर 18 लाख रुपए में एक फर्म को स्वीकृत हुआ है। टेंडर की अवधि 1 साल निर्धारित की गई है। देखना यह है कि यह टेंडर क्या निर्णायक मोड पर पहुंचता है या फिर अन्य टेंडर के समान ही यह निष्प्रभावी हो जाएगा।