पिछोर। चिकित्सक का कर्तव्य इलाज कर मरीज की जान बचाना है जिसे वे बखूवी निभाते भी हैं। इसके लिए उन्हें धरती पर भगवान तक का दर्जा दिया जाता है। पिछोर में पदस्थ चिकित्सक ने अपने इस काम में एक कदम आगे बढ़ाते नायाब मिसाल पेश की है। पिछोर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 30 अक्टूबर को दवियाकलां ग्राम से गर्भवति महिला सपना पत्नी अंकेश यादव उम्र 20 साल प्रसव कक्ष में भर्ती हुई।
डॉ. ब्रजेश शर्मा ने उसका परीक्षण किया तो पता चला कि महिला का बच्चा फंसा हुआ है। तुरंत सिजेरियन ऑपरेशन की जरूरत थी। इस दौरान महिला को ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। उस समय अस्पताल में एबी पॉजिटिव खून उपलब्ध नहीं था। महिला के स्वजन भी रक्त की व्यवस्था नहीं कर पाए। यदि उसी समय ऑपरेशन नहीं होता तो महिला और बच्चे दोनों की जान को खतरा था।
इसके बाद डॉ. ब्रजेश शर्मा ने खुद एबी पॉजिटिव रक्त दान किया। ब्लड डोनेट करने के 10 मिनट बाद ही उन्होंने महिला का सफल ऑपरेशन भी किया। दो दिन पूर्व महिला अस्पताल से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हो गई। इस पर डॉ. शर्मा ने कहा कि डॉक्टर होने के नाते मेरा दायित्व है कि जैसे भी हो हम मरीज को बचाएं। जब पता चला कि उन्हें रक्त नहीं मिल रहा है और वह मेरा भी ब्लड ग्रुप है तो मैंने तत्काल खून देने का फैसला किया।
ऑपरेशन में डॉ. ब्रजेश शर्मा की टभ्म में गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. दीपा शर्मा, एनेस्थेटिक डॉ. बीटी चतुर्वेदी, स्टाफ नर्स दिव्यराज श्रीवास्तव, सरोज वंशकार, ओटी अटेंडर राजेश भारती व लैब टेक्नीशियन जितेंद्र व्यास का सहयोग रहा।