शिवपुरी। जिले में बीते रोज सिद्धिविनायक हॉस्पीटल का वीडियों वायरल होने के बाद से भ्रूण हत्या को लेकर सरकार सख्त है तथा भ्रूण परीक्षण की परमीशन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई नियम बनाए हैं। वहीं दूसरी ओर शिवपुरी जिला मुख्यालय के बिना पीएनडीटी कमेटी की सहमति के तीन सोनोग्राफी सेंटर खोल दिए गए। यह मुद्दा शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में दो साल बाद हुई पीएनडीटी की बैठक में उठा तो तीनों सेंटरों को बंद कराए जाने का निर्णय लिया गया है। जिसके चलते स्पर्श डायग्नोस्टिक का पंजीयन निलंबित करते हुए शिवा और दिव्याशी का पंजीयन सीएमएचओ ने स्थगित कर दिया है।
शुक्रवार को हुई बैठक में कमेटी के सदस्य आलोक एम इंदौरिया, एडवोकेट संजीव बिलगैंया ने जब यह मुद्दा उठाया तो सभी ने इस बात को स्वीकार किया कि यह सेंटर अवैधानिक रूप से संचालित किए जा रहे हैं इसलिए इन्हें तत्काल बंद करवाया जाए। पहले कमेटी इसकी जांच करेगी, उसके बाद ही इनके संचालन की परमीशन दी जाएगी। इतना ही नहीं स्पर्श सोनोग्राफी सेंटर का संचालन करने वाले मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक डॉ. केवी वर्मा की डिग्री को लेकर भी विरोधाभास होने से उसकी भी जांच कराए जाने की बात कही गई। जिपर से स्पर्श सोनोग्राफी का लाईसेंस निलंबित किया गया है।
यह प्रस्ताव पीएनडीटी कमेटी की बैठक में रखा जाता है, कमेटी पहले उसकी जांच करती है। जांच में यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तब उसे शुरू करने की परमीशन दी जाती है। लेकिन स्वास्थ्य महकमे के मुखिया ने बिना कमेटी परमीशन के ही सीधे लेनदेन करके शहर में तीन सोनोग्राफी सेंटर शिवा, दिव्यांशी व स्पर्श को संचालन की परमीशन दे दी। चूंकि बिना जांच के शुरू हुए इन सोनोग्राफी की मॉनीटरिंग भी नहीं की गई, जिसके चलते यहां किए गए भ्रूण परीक्षण का नियमानुसार कोई रिकार्ड भी मेंटेन नहीं किया गया।
यहां बता दे कि शिवपुरी में भ्रूण हत्या सौदे के वायरल वीडियो के फेर में ही जहां एक अस्पताल में एक माह तक ताले लटके रहे, वहीं अभी तक 9 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई। वहीं इसके उलट स्वास्थ्य महकमे की साठगांठ व निरंकुशता के चलते बिना पीएनडीटी कमेटी की सहमति और जांच किए बिना तीन सोनोग्राफी सेंटरों का संचालन शुरू कर दिया गया। चूंकि पीएनडीटी की पिछली आखिरी बैठक जुलाई 2019 में हुई थी तथा दो साल तक कमेटी की बैठक ही नहीं की गई, जबकि नियमानुसार हर दो माह में बैठक होना अनिवार्य है।