हार्दिक गुप्ता,कोलारस। कोलारस में कुपोषण का आंतक है,आप फोटो में स्पष्ट देख सकते है कि अतिकुपोषण का शिकार लक्ष्मी की आप एक एक हड्डियां गिन सकते हो। लक्ष्मी का वजन मात्र ढाई किलो रह गया। लक्ष्मी के माता पिता उसे कोलारस ईलाज के लिए लाए थे। जहां डॉक्टरो ने उसे शिवुपरी रैफर कर दिया। जिले का कुपोषण के लिए करोडो रूपए का बजट हैं,लेकिन इस बजट पर कुपोषण भारी है और सरकार की कुपोषण से लडने की सभी योजना भी कुपोषित हो चुकी हैं।
जानकारी के अनुसार कोलारस अनुविभाग के आने वाले गांव रिझारी की मासूम लक्ष्मी उम्र 1 साल अतिकुपोषण का शिकार हो चुकी हैं और गंभीर बीमार हैं। लक्ष्मी के पिता चन्द्रभान आदिवासी का कहना था कि हम लगातार 3 दिन से कोलारस अस्तपाल आ रहे हैं,लेकिन हमारी सुनवाई नही हो रही है। शनिवार के शाम मीड़िया के हस्तक्षेप के बाद डॉक्टरो ने लक्ष्मी को देखा।
लेकिन लक्ष्मी की स्थिती को देखकर उन्होने उसे शिवपुरी जिला चिकित्सालय में रैफर कर दिया। बताया जा रहा है कि जिला चिकित्सालय में लक्ष्मी को पीआईसीयू में भर्ती किया गया, लेकिन रविवार की सुबह लक्ष्मी के पिता पीआईसीयू में उचित ईलाज का हवाला देते हुए उसे ग्वालियर ले गया। पीआईसीयू के कर्मचारियो का कहना था कि बच्ची अतिकुपोषित थी उसका वजन 1 साल की उम्र मे ढाई किलो था कुछ घंटो के इलाज में वह स्वस्थय नही हो सकती थी लक्ष्मी के पिता हमसे बहस करके ग्वालियर ले गया।
अभी बैठ नही पाती लक्ष्मी,खड़ा होना दूर की बात
लक्ष्मी की उम्र 1 साल बताई जा रही हैं। उसमे वजन ढाई किलो है,वह अतिकुपोषण की श्रेणी में आ रही है। कुपोषण के कारण उसकी शरीर की हडडियां आप गिन सकते हैं लक्ष्मी को सांस लेने में परेशानी आ रही थी। उसकी मां गीता का कहना था कि वह दो दिन से दूध भी नही पी रही थी और ज्यादा बीमार हैं। लेकिन कोलारस के डॉक्टरो ने उसे देखा तक नही और उसे शिवपुरी रैफर कर दिया।
महिला बाल विकास की लापरवाही का नतीजा है लक्ष्मी का कुपोषण
कुपोषण से लडने के लिए मप्र सरकार का विभाग है महिला बाल विकास विभाग,इस विभाग की कई योजनाएं हैं जिनके सहारे कुपोषण से लडा जाता है, जिला स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक इस विभाग के कार्यालय हैं। ग्रामीण कार्यालय को आंगनबॉडी कहते हैं इस आंगनबॉडी का मूल काम हैं कुपोषण से लडना है। लेकिन उसके बावजूद भी कोलारस में कुपोषण का आंतक है।