उफनती नदी बनी रोडा:घर नही पहुंच पाई 108, जमीन पर डिलेवरी हो गई प्रसूता की

Bhopal Samachar

शिवपुरी। जिले के सरकारी अस्पताल से लगातार लापरवाही भरी खबरे आ रही हैं। बीते रोज अस्पताल के स्टॉफ की लापरवाही के कारण 70 प्रतिशत जले गंभीर मरीज की मौत हो गई। वही फिर स्टॉफ की लापरवाही के कारण एक प्रसुता की ट्रॉमा सेंटर की जमीन पर एक प्रसुता को प्रसव हो गया। बताया गया है कि परिजन अस्पताल में स्ट्रेचर तलाशते रहे और प्रसुता को प्रसव हो गया,हद तो तब हो गई जब प्रसब के बाद भी प्रसूता को स्ट्रेचर नसीब भी नही हुआ,उसको व्हीलचेयर से प्रसूता वार्ड में ले जाया गया। हालांकि जच्चा और बच्चा दोनो सुरक्षित हैं।

जानकारी के अनुसार ग्राम करमाज की रहने वाली प्रसूता राजकुमारी को सुबह पेट मे दर्द हुआ। इसके बाद स्वजन ने 108 एंबुलेंस को बुलाया। रात में हुई बहुत अधिक बारिश के कारण एंबुलेंस उनके घर तक पहुंच ही नहीं पाई। दरअसल गांव जाने वाले रास्ते की नदी चढ़ गई थी जिससे वाहन का निकलना संभव नहीं था। इसके बाद ऊफान पर आई नदी को प्रसूता के साथ स्वजनों ने पार किया और जैसे-तैसे एंबुलेंस तक पहुंचे।

इसके बाद राजकुमारी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जब अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पर्चा बनवा रहे थे तब ही उसे पेट में तेज दर्द शुरू हो गया। इसके बाद वहां मौजूद कर्मियों से स्वजनों ने स्ट्रेचर लाने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। उन्होंने खुद मरीज को मैटरनिटी वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर ढूंढा, लेकिन नहीं मिला।

इसके बाद राजकुमारी ने ट्रॉमा सेंटर के प्रांगण में खुले में ही बच्ची को जन्म दे दिया। लापरवाही की एक ओर बानगी बच्ची के जन्म के बाद भी देखी गई। बच्ची के जन्म के बाद भी उसे स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं की गई। प्रसूता को व्हील चेयर पर बैठाकर जच्चा-बच्चा वार्ड ले जाया गया।

स्टाफ की कमी से बढ़ रही अव्यवस्था
जिला अस्पताल में पिछले 6 महीने से स्टाफ की काफी कमी है। अप्रैल तक जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज का 150 लोगों से ज्यादा का स्टाफ तैनात था। कोरोना में मेडिकल काॅलेज का अस्पताल शुरू हुआ तो पूरा स्टाफ वापस चला गया। इसके बाद से ही जिला अस्पताल में स्टाफ की कमी है। िस्थति यह है कि यहां वार्ड बॉय तक नहीं हैं और मरीजों के स्वजनों को ही वार्ड बॉय की भूमिका निभाना पड़ती है। यही हाल नर्सों का है। चिकित्सकों की व्यवस्था देखी जाए तो दो विभागों के अतिरिक्त किसी और विभाग में कोई भी विशेषज्ञ सर्जन ही यहां उपलब्ध नहीं है।

अस्थाई भर्ती करेंगे, लेकिन सिर्फ दिसंबर तक
शासन के आदेशों के अनुसार अब स्वास्थ्य विभाग एनएचएम के तहत नई भर्तियां कर रहा है, लेकिन यह अस्थाई होंगी जो सिर्फ दिसंबर तक के लिए होंगी। यह भर्तियां कोरोना की आशंका को देखते हुए की जा रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर के समय पर ही स्वास्थ्य विभाग ने शासन को स्टाफ की डिमांड भेजी थी, लेकिन उस पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। अब यहां फैल रही अव्यवस्थाओं को लेकर जिला अस्पताल स्टाफ न होने का बहाना बना देता है।

इनका कहना है...
अस्पताल में स्ट्रेचर की कोई कमी नहीं है। मरीजों के परिजन स्ट्रेचर को ले जाते हैं और वार्ड में ही छोड़ आते हैं चूंकि वार्ड बॉय और स्टॉफ की कमी है जिसके चलते कई बार लाने में देरी हो जाती हैं। वहीं ट्रॉमा सेंटर में महिला की डिलेवरी में सही समय पर नहीं लाया गया जिसके चलते प्रसूता की डिलिवरी ट्रॉमा सेंटर के प्रांगण में ही हो गई।
डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सिविल सर्जन
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