सतेन्द्र उपाध्याय@शिवपुरी। शिवपुरी शहर से 35 किमी दूर स्थिति टपकेश्वर महादेव की कथा बता रहे है।टपकेश्वर महादेव मंदिर नरवर रोड पर बीयावान जंगल में स्थिति है। यहां चारों और जंगल है और इस जंगल के बीच में एक पहाड है। इस पहाड पर विराजमान है भगवान महादेव। शिवलिंग तक पहुंचने के लिए पहाड़ को काटकर सीढ़ियां बनाई गई है। लगभग 300 सीढ़ियां चढने के बाद इस पहाड पर पहुंचते है। जहां पहाड़ के नीचे गुफा में भगवान महादेव विराजमान है।
भगवान राम ने की थी टपकेश्वर महादेव वाले शिवलिंग की स्थापना
इस मंदिर में महादेव की मूर्ति भी स्थापित है। यहां शिवलिंग के उपर से प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता है। यह जलाभिषेक हमेशा होता रहता है। जब यहां के पुजारीयों से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया यह मंदिर अति प्राचीन है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की है।
4 महीने तक अंधेरी गुफा में शिव की आराधना करते हैं श्री ओमकारनंद महाराज
उसके बाद यहां महाराज ओमकारनंद जी ग्राम झंडा से यहां आए और उन्होंने यहां तप किया। बताया जा रहा है कि श्री ओमकारनंद महाराज गुरू पूर्णिमा से यहां गुफा में एकांतवास में जाते है और चर्तुमास तक यहां भगवान की आराधना करते है। इस गुफा में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। यह चतुर्मास दीपावली पर पूरा होता है। उसके बाद यह महाराज बाहर निकलते है।
प्रकृति की गोद में 9 देवियां सहित कई मंदिर हैं
यहां स्थिति वनभूमि यहां की सुदरंता में चार चांद लगाती है। चारों और यहां हरियाली के साथ साथ वनों की सुदंरता देखने लायक रहती है। यहां शिवमंदिर के साथ साथ मां जगतजननी सहित नौ दवियों के मंदिर है। इसके साथ ही पहाड के नीचे ही रामजानकी, वृह्मा जी सहित कई मंदिर है।
पहाड़ पर तीन कुंड, तीनों की अपनी कथाएं
इस पहाड के उपर तीन कुंड है। जिसमें हमेशा पानी रहता है। जिसमें एक भैरव कुण्ड, दूसरा गणेश कुण्ड और तीसरा शेर कुण्ड है। यहां बताया जाता है कि भगवान की आराधना के समय यहां शेर आता था और पूजा अर्चना के बाद यहां शेरकुण्ड में पानी पीकर जाता है। पहाड के उपर स्थिति सभी कुण्डों में पानी हमेशा भरा रहता है। यहां मान्यता है कि जो कोई भी यहां सच्ची श्रृद्धा से भगवान की आराधना करता है। उसे भगवान उसकी मनोकामना पूरी करते है।