कोरोना के बीच डरावनी तस्वीर: 2 दिन से अस्पताल के चक्कर लगा रहा था कोरोना संदिग्ध, रास्ते मे तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी अस्तपाल की संवेदनाएं इनती शून्य हो गई हैं कि वहां मौजूद डॉक्टरों को लोगों का दुख दर्द भी नहीं दिख रहा है। कल अस्पताल स्टाफ की एक लापरवाही ने कोविड वार्ड में भर्ती एक कोरोना मरीज की जान ले ली। वहीं आज इलाज न मिलने से एक मरीज इतना परेशान हो गया कि उसने अपना इलाज जिला अस्पताल में न कराने का फैसला लिया और घर जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई।

कल ही मृतक का कोरोना टेस्ट हुआ था और उसे डॉक्टरों ने उसे घर भेज दिया था। लेकिन आज सुबह उसकी तबीयत इतनी खराब हो गई कि परिजन उसे लेकर अस्पताल आ गए। लेकिन दो घंटे वह इलाज के लिए भटकते रहे और अंत में मृतक ने निर्णय लिया कि शिवपुरी अस्पताल में उसके प्राण सुरक्षित नहीं है।

इसलिए वह उसे अपने गृह जिले छिंदवाड़ा ले चलें और वह करैरा के लिए अपनी कार से रवाना हो गए। लेकिन रास्ते में ही मंजय भारती की हालत बिगड गई और उसे चिंताहरण मंदिर के पास रखे एक तख्त पर लैटाया जहां वह तड़पता रहा और इसी दौरान उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

यह पूरा वाख्या शहर के बीचों बीच हुआ। जिसे लोगों ने अपनी आंखों से देखा और इस घटना को देखकर वहां मौजूद लोगों का मन सिहर उठा। लोग कहने लगे कि अब उनके प्राण शिवपुरी अस्पताल के भरोसे सुरक्षित नहीं हैं।

करैरा में पदस्थ पटवारी मिशल भारती ने बताया कि उनके देवर मंजय भारती को मंगलवार को सीने में दर्द होने पर वह एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां उन्हें इलाज करने के बाद थोड़ा आराम मिल गया और वहां के डॉक्टरों ने कोविड जांच कराने के लिए कहा और कल परिजन मंजय भारती को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे।

उस समय उसकी हालत खराब थी। जिसका कोविड टेस्ट किया गया और डॉक्टरों ने उसे गंभीर न मानते हुए घर भेज दिया। लेकिन आज सुबह अचानक मंजय भारती को घबराहट होने लगी और सांस लेने में भी तकलीफ थी। इस कारण वह सुबह जिला अस्पताल पहुंचे। जहां दो घंटे एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक उसने अपने देवर के इलाज के लिए गुहार लगाई।

लेकिन डॉक्टरों की संवेदना इनती शून्य हो गई थी कि उन्हें मरीज और उसके परिजन का दुख दिखाई नहीं दिया। अंत में हार थककर उसके देवर मंजय भारती ने उससे कहा कि उसके प्राण अब इस अस्पताल में सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए वह उसे जल्द से जल्द अपने घर छिंदवाडा ले चलें।

देवर के अंतिम शब्द सुनकर उसका कलेजा पसीज गया और वह अपने देवर को कार में बैठाकर करैरा के लिए रवाना हो गई। लेकिन जैसे ही वह चिंताहरण मंदिर पहुंचे, तभी मंजय को घबराहट होने लगी। इसलिए उन्हेें कार से निकालकर मंदिर के बाहर पड़े एक तख्त पर लिटाया और वह अपने पल्लू से उसकी हवा करती रही।

उनका कहना है कि वह अपने देवर को इस तरह तड़पता हुआ देखकर पूरी तरह से टूट गईं और देवर ने उसके सामने ही अपने प्राण त्याग दिए। इस करूण क्षण को वहां मौजूद हर व्यक्ति देख रहा था और उन सभी का दिल पसीज गया।

इनका कहना है-
मृतक के परिजनों के आरोप गलत हैं। हमने दो दिन का अवकाश होने के बाद भी इमरजेंसी और ओपीडी चालू रखी है। अस्पताल में इतनी भीड़ भी नहीं है कि कोई डॉक्टर मरीज को देखने से इंकार कर दें। परिजन अगर उनसे मिलकर पूरी डिटेल उनको देते हैं, तो वह इस मामले को दिखवाएंगे।
डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सिविल सर्जन शिवपुरी
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