नामांतरण के ऐवज में चल रहा है रिश्वत का खेल, प्रायवेट कर्मचारी कर रहे है वसूली - kolaras News

Bhopal Samachar
मुकेश रघुवंशी@ शिवपुरी। अन्नदाता सरकारी तंत्र से परेशान है। अन्नदाता तहसीलों में भटक रहा है लेकिन उनकी सुनवाई बिना हरे हरे नोटो की खनक के बिना नहीं होती है। ऐसा ही मामला कोलारस तहसील में सामने आया जहां किसान नामांतरण के लिए भटक रहे थे लेकिन यहा तैनात प्रायवेट कर्मचारी नामांतरण कराने के ऐवज में किसानों से पैसा ले रहे थे। यह पूरा नजारा कैद हुआ कैमरे में।

कोलारस की तहसील में नामांतरण और फौती नामांतरण के लिए लोग दो से तीन माह से भटक रहे हैं लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं हैं। यहां तो पैसे के दम पर तारीख ही लगती है। तीन माह पहले ढाई बीघा जमीन खरीदने वाले अतरसिंह और धनीराम नामांतरण के लिए चक्कर लगा रहे है। अतरसिंह तीन माह से चक्कर लगा रहा है तो धनीराम दो माह से तहसील के चक्कर काटने को मजबूर हैं लेकिन उन्हें दी जा रही है तो बस तारीख पर तारीख।

रिकार्ड शाखा प्रायवेट कर्मचारियों के भरोसे
तहसील में जमीनों से संबंधित रिकार्ड संधारित रहता है लेकिन यह रिकार्ड शाखा भी प्रायवेट कर्मचारियों के भरोसे हैं और यहां भी तैनात एक महिला कर्मचारी फाइलों को अधिकारियों तक उनकी टेबिल पर पहुंचाने के नाम पर अपनी जेब गर्म करने में लगी थी।

टेबिल तक फाईल पहुंचाने लेते हैं हरे हरे नोट

टेबिल तक फाइल पहुंचाने के लिए हरे हरे नोट कोलारस तहसील में तैनात प्रायवेट कर्मचारी वसूल रहे हैं। जबकि रिकार्ड शाखा सबसे महत्वपूर्ण शाखा है और यहां किसानों के जमीनों से संबंधित दस्तावेज संधारित किए जाते हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण शाखा को ही प्रायवेट कर्मचारियों के भरोसे छोड दिया गया है।

जिम्मेदारों की कुर्सी खाली

तहसील जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय में न तो तहसीलदार ही मौजूद थे और न ही यहां जिम्मेदार कोई कर्मचारी ही तैनात रहता है। ऐसे में पूरी तहसील प्रायवेट कर्मचारियों के भरोसे चल रही है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस तरह से अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग चल रहा है।

G-W2F7VGPV5M