बदरवास। बदरवास की ग्राम पंचायत सुमैला में गौवंश का सरंक्षण हो सके इसके लिए 30 लाख की लागत से गौशाला का निर्माण कराया गया लेकिन यहां गौवंश के संरक्षण की जिम्मेदारी ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाओं को दी गई। करीब दो माह में भूख और प्यास से 45 से अधिक गायों की मौत तडप तडप कर हो गर्ई।
लेकिन अब स्थिति यह है कि करीब 10 दिन से गायों के लिए गौशाला में न तो चारा ही है और न ही पानी की व्यवस्था है जिसके चलते दो दिन में तीन गायों की मौत हो गई। जिसके बाद गांव के रामनिवास शर्मा सहित कुछ अन्य लोग धरने पर बैठ गए हैं इनका कहना है कि जब तक गौवंश के लिए चारे और पानी की व्यवस्था नहीं होगी तब तक वह अपना धरना जारी रखेगे।
पंचायत में दिया गया है फंड
गौशाला के निर्माण से लेकर उनके रख रखाव की जिम्मेदारी पंचायतों को सौंपी गई हैं लेकिन ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की बानगी यह है कि गौंवश के लिए चारे और पानी तक की व्यवस्था पंचायतें नहीं करा पा रही है। पंचायतें फंड न होने का रोना रो रही हैं।
न हरा चारा और न ही आ रहा पानी, बचे हैं 80 गौवंश
रामनिवास ने बताया कि सुमैला की बदरवास से दूरी महज 3 किमी है और यहां करीब 125 गौवंश थे जिनमें से महज 80 ही बचे हैं क्योंकि 45 गौंवश की भूख और प्यास से तडप तडप कर दो माह के भीतर मौत हो गई है। इनके लिए न तो हरा चारा ही दिया है और न ही पीने के पानी का ही कोई इंतजाम है।
नहीं पहुंचे कोई भी जिम्मेदार
धरने पर बैठे लोगों के पास अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी उनकी खबर लेने तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रदेश सरकार गौवंश के संरक्षण की बात करती है लेकिन जिम्मेदार है कि गौवंश के संरक्षण में कोई रूचि तक नहीं दिखा रहे हैं।