कवियों के तरकस से निकले कविताओं के तीर, सुरेन्द्र सागर श्योपुर की अध्यक्षता में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन /Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। इस दिनों कोरोना को लेकर एतिहात की अत्यंत आवश्यता है। इसी दौरान आनलाईन पर हर किसी का फोकस है। इसी के चलते आज सुरेन्द्र सागर श्योपुर की अध्यक्षता और राम पंतित और सतीश दीक्षित के सरंक्षत में अनूठे कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम शुरू करते हुए, संयोजक विकास शुक्ल प्रचण्ड ने मंच संचालन के लिए संजय श्रीवास्तव प्रज्ञा जी का आवाहन किया,तत्पश्चात प्रज्ञा जी ने मंच सम्हालते हुए, सभी को शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम आरंभ किया, सर्वप्रथम रिम्पल माहल ने सरस्वती वंदना की, उसके बाद कविताओं का दौर शुरू हुआ जिसमें संगीता शर्मा जी आगरा ने पढ़ा रोज ही शिकवे शिकायत क्या करूँ, खुद से ही बगावत क्या करूँ, खूब वाहवाही बटोरी।

इसी क्रम में बारां राजस्थान से उपस्थित कवि नाथूलाल मेघवाल  ने ओज से ओत प्रोत रचना 56 इंची वाला सीना दुश्मन को दिखलाना है, भारत माँ ने लाल गवाएं बदला हमें चुकाना है। पढ़कर श्रोताओं में जोश भर दिया।

सागर से उपस्थित सुश्री नमृता फुसकेले जी ने जिंदगी के इस सफर में मिले दो मुसाफिर, बन गए हमसफ़र कविता पढ़ी, जो सभी को बहुत भायी। गुना से नीलम कुलश्रेष्ठ जी ने भक्ति रस में डुबाते हुए, मनवा देखो प्रभु की ओर, परम् शक्ति वह सकल सृष्टि का उससे बंधी है डोर अनुपम काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम के संयोजक व राष्ट्रीय कविसंगम शिवपुरी के जिलाध्यक्ष विकास शुक्ल प्रचण्ड ने केशव आराधना करते हुए, कृष्ण आज क्या सुन रहे मैन की करुण पुकार। धर्म सनातन चीखता करता हाहाकार कविता पढ़ श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।

अंत मे कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेंद्र सागर जी ने कव्यपाठ किया उन्होंने पढ़ा, पांव थमे तो मृत्यु समझिए चलते रहना ही जीवन है। सुंदर भावों से ओतप्रोत इस कविता को सभी ने बहुत सराहा।
श्री सागर जी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

संजय श्रीवास्तव प्रज्ञा जी हास्य व्यंग्य कवि गंजबासौदा ने कार्यक्रम का संचालन किया, उनके अनूठे संचालन में कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा सभी लोगों ने कवियों के कव्यपाठ व संचालन को खूब सराहा,कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम सह संयोजक राकेश मिश्रा रंजन जी ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया, सबकी रचनाओं को बहुत सराहा।

शरद गोस्वामी, बसंत श्रीवास्तव, प्रदीप अवस्थी, उर्वर्शी गौतम, यतीश अकिंचन, अरुण कुमार दुबे, उदयराज सिंह,  पुष्पा शर्मा, अवधेश सक्सेना, रमन शर्मा संजीत सिंह एवं अन्य कई कवि उपस्थित रहे।
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