कोलारस। घर जाने की जिद के आंधी और तुफान भी हार गए,बस घर जाने की जिद के कारण मजदूरो के पैर अपने आप पर चल रहे थे। हमारे संवाददाता ने ऐसे ही घर जाने के जिद मन में बैठे लिए सैकडो मजदूरी बरसती रात में चले जा रहे मजदूरो से बातचीत की।
देश में कारोना के संक्रमण के कारण पहले लॉकडाउन हुआ,फिर शटडाउन हुआ इस कारण देश में लाखो हाथो ने मजदूरी खो दी। फैक्ट्रियो में ताले लग जाने के कारण मजदूरो का पलायान शुरू हो गया। मजदूर हजारो किली मीटर पैदल ही अपने घरो को चल निकले।
राजस्थान और भीलभाडा मे काम कर रहे मजदूरो का 4 सैकडा का जत्था कोलारस के रास्ते झाँसी,ओरछा जाते हुए दिखाई दिए। यह मजदूर तेज तूफान को झेलते हुए कुछ नंगे पाँव चलते हुए दिखाई दिए रविवार की शाम मौसम खराब होने के चलते भीगते ठिठुरते नजर आए लेकिन इन सबसे उलट कहीं ज्यादा घर पहुंचने की जल्दी भी दिखाई दे रही है। इन मजदूरो की भीड़ मे एक व्यक्ति की स्थिति ज्यादा ही खराब लग रही थी
इन 4 सैकडा मजदूरो में से घनश्याम,रामसिंह,तेजप्रताप ओर राधे ने बातया कि हम भीलवाडा और कोटा में लगी कई ईकाईयो में मजदूरी का काम करते हैं। लॉकडाउन वन और टू हमने किसी तरह काट लिया,ओर हमे उम्मीद थी कि लॉकडाउन 02 के बाद हमारे काम धंधे शुरू हो जाऐंगें,लेकिन सरकार ने काम फेक्ट्री शुरू करने के आदेश दे दिए हैं लेकिन हमारे फैक्ट्री मालिको ने काम शुरू नही किया है।
इस कारण हमारी उम्मीद टूट गई। हमने मिलकर निर्णय लिया कि पैदल ही घर जाऐेंगें।हम सब ने यह निर्णय लिया ओर चल दिए अपने-अपने घरो की ओर। हम पिछले 4 दिन से चल रहे हैं जहां जो मिल जाता हैं उसे खा लेते हैं कभी हमे पुलिस वाले परेशान भी करते हैं,कही समान्य लोग भी। कई लोगो ने रास्ते हमारी मदद की।
इन सभी मजदूरो से बात करने में एक आभास हुआ कि इनकी जिद बडी हैं। ना यह दिन देख रहे है ना रात,बस चलते जा रहे हैं।