शिवपुरी।इस कोरोना काल में शिवपुरी को कोरोना क्लीन करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी जिम्मेदारी निर्वहन की हैं। पुलिस,स्वास्थय,प्रशासन,सफाईकर्मी,मिडिया ओर पब्लिक ने मिलकर इस लडाई को लडा है। पब्लिक ने आगे आकर इन कोरोना फाईटरो का सम्मान दिल से सम्मान किया है।
कोरोना के इस खतरनाक संक्रमण से स्वास्थय कर्मियो की आमने-सामने की फाईट हो रही है। वर्तमान समय में इस कोरोना काल में पुलिस ओर डॉक्टरो की छबि पब्लिक में सुधरी हैं। पब्लिक और इस प्रशासन के इन दो विभागो के रिलेशन मजबूत हो रहे हैं लोग आकर इनका स्वागत कर रहे है। स्वास्थय विभाग के स्वागत सत्कार के बीच ऐसी खबर आ रही हैं जो आपके झकझोर देंगी।
अस्पताल में स्थित ट्रॉमा सेंटर के 6 कर्मचारी जो इस कोरोना के संक्रमण से सीधी लडाई लड रहे हैं,लेकिन अपना पेट बांधकर। पिछले 1 साल से इन्है वेतन नही मिला हैं,फिर भी यह कोरोना से इस लडाई में डटकर मुकाबला कर रहे हैं।
जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में 6 कर्मचारी तैनात हैं। लैब टेक्निशियन, एक्सरे व ओटी टेक्नीशियन के पदों पर तैनात इन कर्मचारियों को बीते एक साल से वेतन नहीं मिला हैं। जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। बड़ी बात यह है कि आर्थिक संकट का सामना कर रहे इन्हीं कर्मचारियों की सेवाएं कोरोना यौद्धा के तौर पर भी ली जा रही हैं।
ट्रॉमा सेंटर के लैब टैक्नीशियन क्रष्णा गुप्ता की डयूटी आईसोलेशन वार्ड में लगी हुई है। यहां डयूटी करना संवेदनशील माना जाता है। इस वार्ड में पॉजीटिव मरीज का इलाज होता है। जाहिर सी बात है कि बीते दिनों जिले में दो मरीज पॉजीटिव मिले थे वे जिला अस्पताल में भर्ती रहे। ऐसे में क्रष्णा का काम जिम्मेदारी भरा जान पड़ता है।
इधर दूसरी तरफ ओटी टैक्नीशियन मनोज गेहलोत की डयूटी कॉल सेंटर पर लगी हुई हैं जबकि एक्सरे टेक्निशियन सूरज प्रजापति और सुनील सविता कोरोना मरीजों के एक्सरे करते हैं। कुल मिलाकर कोरोना योद्धाओं को वेतन न देकर सरकार खाली पेट युद्ध में झौंके हुए हैं।
टीडीएस काटकर मिलता है वेतन
इन 6 कर्मचारियों को 15 हजार के मान से वेतन दिया जाता है। 1500 टीडीएस काटा जाता है लेकिन वेतन नहीं दिया जा रहा जिससे घर चलाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि गुरूवार को भी उन्होंने सिविल सर्जन डॉ पीके खरे के समक्ष गुहार लगाई थी जिस पर उन्होंने कहा कि अभी तक फंड नहीं आया। आने पर ही वेतन का भुगतान कर पाएंगे।
साल 2013 में ट्रॉमा केयर सेंटर में 11 कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। प्रदेश के चार जिलों में यह भर्ती केंद्र सरकार के आदेश क्रम में की गई और इन कर्मचारियों को वहीं से वेतन मिलता था। जिसमें दो लैब टैक्नीशियन, 4 एक्सरे टैक्नशियन और 5 ओटी टैक्नीशियन की भर्ती की गई थी। अब 6 कर्मचारी रह गए हैं जबकि एक कर्मचारी पूरन जाटव एक्सरे टैक्नीशियन अपनी नौकरी वेतन न मिलने के चलते छोड़कर चला गया है। रही है।
कर्मचारियों ने बताया कि दो साल पहले इन्हें तत्कालीन सीएमएचओ डॉ एमएस सगर के समय हटा दिया था। कोर्ट चले गए। स्टे ले आए। दोबारा सेवा में आ गए। तब एक साल वेतन नहीं मिला लेकिन बाद में सालभर का वेतन मिल गया उसके बाद से अब फिर एक साल हो गया है लेकिन वेतन नहीं दिया जा रहा,बेट बांधकर जी जान से कोरोना की ड्यूटी कर रहे हैं।
इस विकट स्थिती में अपने कर्म को पूजा मानकर करने वाले इन कर्मवीरो को सम्मान तो मिलना चाहिए,लेकिन समय पर वेतन इनका हक और अधिकार हैं,वे इससे वंचित हैं,पिछले 1 माह से काम नही होने के कारण इस देश में क्या हालात पैदा हो गए। पर सोचिए इन कर्मचारियो के पास काम तो हैं,लेकिन पैसा नही हैं कैसे यह अपना घर चला रहे होगें,यह सोचकर दिमाग बंद हो जाता हैं।
यह बोले अधिकारी
ट्रॉमा सेंटर में तैनात कर्मचारियों को फंड न होने से वेतन नहीं मिला है। मैंने कुछ ही समय पहले चार्ज लिया है। इनके संबंध में पत्राचार कर दिया है। क्या रास्ता निकल सकता है और कैसे जल्दी वेतन मिलेगा। यह प्रयास कर रहा हूं।
डॉ पीके खरे, सिविल सर्जन अस्पताल शिवपुरी
