शिवपुरी। कोटा का लोकडाउन का कहर झेल कर वापस आई एक छात्र के परिवार अब अपने हैप्पी हॉम में आकर खुश हैं। हालाकि वह होम कॉरेन्टाईन है पूरा परिवार पर खुश है। अगर प्रशासन इन्है वापस नही लाता ता यह परिवार अपनी बाईक से वापस अपने घर लौटने की तैयारी कर रहा था चाहे जेल हो जाती। जेल इस कमरे से बेहत्तर होती कुछ ऐसे ही मार्मिक शब्द बयां करे इस परिवार ने।
आकाश रावत पुत्र सीताराम रावत कोटा में बीए और छोटा भाई विकास स्कूल में पढता हैं। साथ मेरी मां श्रीमति कंचन रावत भी रहती हैं। मेरे पिता सीताराम रावत बैराड में चाय की दुकान करते हैं। जनता कफ्यू की जैसे ही घोषणा हुई मेरे पिता हमे लेने कोटा आ गए। दो दिन बाद चलने का हमारा प्रोग्राम बना जैसे ही देश में लॉकडाउन होने की घोषणा हो गई।
पिता घर से 20 हजार रु. लेकर निकले थे दुकानें नहीं खुलने से खाने-पीने का सामान बहुत महंगा खरीदना पड़ा। एक महीने बाद 350 रुपए बचे थे। बैराड़ लाैटने के लिए एक मेटाडोर वाले से बात की तो उसने 19 हजार रु भाड़ा मांगा तो जीप वाला 14 हजार रु. मांग रहा था। हमने 7 हजार रु देने को कहा तो कोई राजी नहीं हुआ।
घर से निकलते तो पुलिस वाले डंडे मारते थे। फिर भी हम चारों ने एक बाइक से ही घर निकलने की तैयारी कर ली थी। हम जीना चाहते हैं, इसके लिए जेल जाना भी मंजूर था। लेकिन इसी बीच शिवपुरी से अपर कलेक्टर का फोन पहुंचा और घर सकुशल पहुंचाने का भरोसा दिलाया। आज हमारी घर वापसी हो गई।
अपने हैप्पी हॉम में पहुंचकर खुश हैं,एक कमरे चार लोग,जिंदगी जेल जैसी हो गई थी,लेकिन अब हमारे घर पर पहुचकर हमे सकुन मिला हैं। हम प्रशासन के पूरे नियम फ्लो कर रहे हैं। घर से बहार नही निकल रहे है।
