संगीत के एक युग का अवसान, सुरीला आवाज और बांसुरी के उस्ताद मंगलमूर्ति पंचतत्व में विलीन | Shivpuri news

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शहर के संगीत के एक युग का कल अवसान हो गया हैं। सुरीली आवाज और बांसुरी के उस्ताद पीजी मंगलमूर्ति का देंहात हो गया। संगीत के उस्ताद ने गुरूवार को अंतिम सांस ली। वह वह 84 वर्ष के थे। 

उनका शहर में इतना मान-सम्मान था कि कोई भी संगीत का आयोजन उनके बिना शुरू नहीं होता था। शिवपुरी के आकाशवाणी केंद्र पर बजने वाले नगमों में आज भी वही कलाकार स्वर दे रहे हैं, जिनका स्वर परीक्षण पीजी मंगलमूर्ति ने 1991 से 1994 के बीच लिया था।

साहित्यकार अरुण अपेक्षित की मानें तो स्वर्गीय पीजी मंगलमूर्ति नगर के संगीत के एक युग का नाम है। संगीत की एक पीढ़ी की वह लगभग अंतिम कड़ी थे। जिनकी न अब आवाज सुनाई देगी और न ही बांसुरी की धुन। सिर्फ रिकार्ड प्लेयर पर ही अब उन्हे सुना जा सकेगा।

स्थानीय जिला चिकित्सालय और सेवा के अंतिम सालों में टीबी अस्पताल में सेवाएं प्रदान करने वाले मंगलमूर्ति उस समय का प्रतिनिधित्व करते थे जब संगीत शिवपुरी नगर के घर-घर में गूंजा करता था।

शिवपुरी में होने वाले प्रत्येक संगीत आयोजन में उनकी स्वर लहरी गूंजती थी
शिवपुरी को नरवर के स्थान पर जिला मुख्यालय ही नहीं ग्वालियर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया, तब अनेक महाराष्ट्रीयन परिवार यहां आ कर रहने लगे। ये परिवार अपने साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत लेकर आये। महाराष्ट्रीयन परिवारों में शास्त्रीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा थी।

उनके अभिन्न मित्र अशोक शर्मा नादन बताते हैं कि मेरी व उनकी आयु में मात्र एक माह का अंतर था। मंगलमूर्तिजी का जन्म दिसम्बर 1936 का था तो मेरा जन्म जनवरी 1937 का। मंगलमूर्ति बहुत अच्छी बांसुरी बजाते थे। उनकी पत्नी सितार-वादन किया करती थीं। किसी समय लगभग प्रत्येक संगीत के आयोजन में उनकी स्वर लहरियां गूंजती थी।

संगीत से जुड़े प्रत्येक आयोजन में उनकी उपस्थिति आवश्यक और महत्वपूर्ण मानी जाती थी। वे नगर में आयोजित की जाने वाली विभिन्न संगीत-प्रतियोगिताओं के अलावा आकाशवाणी में भी सुगम-संगीत के लिये स्वर-परीक्षण के निर्णायक की भूमिका में रहते थे। नई पीढ़ी को उनका प्रोत्साहन, मार्गदर्शन और समय-समय पर मीठी डांट-फटकार भी मिल जाती थी।

नई पीढ़ी के संरक्षक थे
वे नई पीढ़ी के कलाकारों के लिये संरक्षक थे। उनके अवसान ने शिवपुरी नगर की स्वर रागनी ने एक महत्वपूर्ण स्वर खो दिया है। उनकी अंत्येष्टी गुरुवार शाम हुई। इसमें परिवारजनों, मित्रों के अलावा नगर के अनेक कलाकार विजय भार्गव, त्रिलोचन जोशी, ब्रजेश अग्निहोत्री, गिरीश मिश्रा, अरुण अपेक्षित, आदित्य शिवपुरी, आत्मानंद शर्मा, आशुतोष शर्मा, लखनलाल शर्मा, और धैर्यवर्धन शर्मा सहित अनेक लोगों ने शामिल होकर उन्हे अंतिम विदाई दी।

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