विलुप्त होती भाषाओं को बचाना मातृभाषा दिवस मनाने का उद्देश्य: खरे | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में निरंतर पांचवे वर्ष स्थानीय संघ कार्यालय राघवेंद्र नगर में विविध भाषायी बंधुओ का कार्यक्रम आयोजित किया गया,कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी प्रान्तों के बंधुओ ने उपस्थित होकर लघु भारत की संकल्पना को एक छत के नीचे साकार किया।

इस अवसर पर 19 भाषाईयो ने पहले अपने प्रान्त की भाषा मे उसके बाद हिंदी में उसका अनुवाद कर अनेकता में एकता का रूप प्रदर्शित किया।मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए करेरा महाविद्यालय के प्राचार्य लखनलाल जी खरे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य विलुप्त होती जा रही भाषाओं को बचाना हैं।

तथा साथ ही भाषा के प्रति प्रेम का इजहार ही इसके पीछे का मूल है,हमारा भाषा के प्रति अनुराग होना चाहिए।खरे ने कहा कि इस दिवस को मनाने के पीछे संघर्ष की एक बड़ी कहानी जुड़ी हुई है,16 लोगो के बलिदान के साथ बांग्लभाषियो ने लम्बा संघर्ष किया,तब जाकर यूनेस्को ने 1999 से अंतरष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को घोषित किया तब से प्रतिवर्ष ये दिवस मनाया जाता है।

शिवपुरी महाविद्यालय में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष पदमा शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा ही है जो व्यक्ति को जोड़ती है,भाषा से ही व्यक्ति की पहचान होती है,कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विविध भाषाओं के वाबजूद भी अनेकता में एकता केवल भारत मे ही दिखता है।

उर्दू के विद्वान यूसुफ कुरेशी ने कहा कि हिंदी और उर्दू सगी बहने है,एक भ्रम है अरब से उर्दू आयी जब कि उर्दू अरब से नही यही की भाषा है।कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क प्रमुख वरिष्ठ अभिभाषक स्वरूपनारायन भान ने कहा कि पिछले पांच वर्ष से इसी स्थान पर इसी छत के नीचे बंधु बांधवों के साथ मिलकर अंतरष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मना रहे है,लघु भारत के दर्शन यहाँ होते है और आपसी प्रेम को बढ़ावा इस कार्यक्रम से मिलता है।

राष्ट्रीय चेतना प्रसारण न्यास के कार्यो को बताते हुए अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि समाज के उत्थान में ट्रस्ट निरंतर लगा है,तथा इस तरह के कार्यक्रमो से चेतना जागृत करने में ट्रस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है।

जिसमे मराठी भाषा से योगिता झोपे,दिलीप सिधोरे,मलयालम से सी टी रवि,सिंधी से महेश जी हरियाणी,उत्तराखंड से दिनेश जी नेगी,तमिल से के सुरेश,तेलगु से रविकुमार,बंगाली से पारितोष मलिक, अंग्रेजी से पल्लवी गोयल,संस्कृत से योगेश दुबे,कश्मीर से विजय धर, सहित समूचे भारत के अलग अलग प्रान्तों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में सहभागिता कर कार्यक्रम को उल्लेखनीय बनाया,कार्यक्रम का संचालन प्रतिवर्ष की भांति अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा,आभार सरस्वती विद्यापीठ के व्यवस्थापक ज्ञान सिंह जी कौरव ने माना।कार्यक्रम में विशेष  भूमिका अतुल शर्मा की रही।अंत मे राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।