प्रतिबंध के बाद भी धडल्ले से बिक रहा खुला तेल, सब जानकर भी अफसर अंजान | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शासन ने करीब 4 साल पूर्व बाजार में बिकने वाले खुले तेल की बिक्री प्रतिबंधित कर दी है, लेकिन शहर में प्रतिबंध के बावजूद व्यापारी लाभ के लिए मिलावटी व खुला तेल विक्रय कर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि शासन ने वर्ष 2015 में खुले तेल की बिक्री और ड्रामा में री—पैकिंग पूर्णत: प्रतिबंधित कर दी है। बावजूद इसके शहर में व्यापारी खुलेआम ना सिर्फ खुला तेल विक्रय कर रहे हैं, बल्कि खुले रखे ड्रामों और  टीनों में पैकिंग भी की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि कई व्यापारी तो इस खुले तेल में जमकर मिलावट कर रहे हैं अगर शहर में बिक रहे तेल की अधिकारी इमानदारी से सैंपल कराएं तो यह मिलावट का खेल उजागर हो जाएगा।

पडताल करने पर तेल व्यापार से जुड़े लोगों ने बताया कि सरसों के तेल में गुली का तेल मिलाया जाता है। बाजार में सरसों के तेल की कीमत 60 रूपए किलो है। जबकि गुली के तेल की कीमत 30 रूपए किलो होती है। इस तरह से 200 लीटर के इसमें अगर 50 लीटर गोली का तेल मिलाया जाए तो करीब 15 हजार का अतिरिक्त लाभ हो जाता है।

तेल के व्यापार से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार बाजार में पाम आयल की कीमत 78 रूपए लीटर है, जबकि सोयाबीन के तेल की कीमत 98 रूपए लीटर है। इस तरह दोनों तरह के तेलों में 20 रूपए लीटर का अंतर है।

एक व्यापारी के यहां काम करने वाले एक व्यक्ति ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि 200 रूपए लीटर के एक ड्रम में 40 से 50 लीटर पाम ऑयल मिलाया जाता है। इस तरह से एक ड्रम मिलावटी तेल विक्रय करने पर व्यापारी को 8 से 10 हजार तक का अतिरिक्त लाभ होता है।

इस मामले पर फूड ऑफिसर सावित्री सक्सेना का कहना है कि उन्हें पहले सूचना मिली थी कि एक टैंकर शहर में आता है, उन्होंने उस टैंकर को पकड़ने का प्रयास भी किया था, परंतु वह भाग निकलने में सफल रहा। वह शहर और ग्राम अंचल में रणनीति बनाकर इस तरह के कारोबार करने वालों पर कार्रवाई करेंगे।

वहीं दूसरी तरफ शिवपुरी कलेक्टर अनुग्रहा पी ने कहा कि अगर शहर में इस तरह का व्यापार चल रहा है और किसी के उनके पास-वीडियो फोटो हैं तो वह इसकी सूचना दे, वह इस मामले पर चेकिंग करवा कर उचित कार्रवाई करेंगी।

अफसरो के सब कुछ जान कर भी इन नादानी भरे बयानों को सुनकर अफसोस होता है, कि उन्हें पहले से कुछ पता ही नहीं है। लेकिन असलियत तो यह है कि जो मिलाबट के इस खेल चल रहा है, अधकारीयों के पास उसकी जानकारी है फिर भी वह मौन बने हुए हैं।

एक व्यापारी के यहां काम करने वाले एक व्यक्ति ने नाम उजागर ना करने कि शर्त पर बताया कि हर महीने अफसरों के पास हमारे यहां से पैसे भेजे जाते हैं। जिसके चलते अफसर भी कोई कार्यवाही नहीं करते और मौन रहकर काम जैसे चल रहा है वैसे चलने देते हैं।
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