शिवपुरी। शहर से 50 किमी दूर अमोलपठा रोड़ पर स्थित ग्राम दांगीपुरा में प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन लगने वाले मेले में हजारों की संख्या में जिले तथा जिले से बाहर के लोग पहुंचे। मान्यता है कि गांव के रामजानकी मंदिर में शरद पूर्णिमा के दिन अस्थमा के रोगियों को दी जाने वाली दवा से अस्थमा रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
मंदिर पर रात्रि 11 बजे से उक्त दवा का वितरण खीर के साथ किया गया और वहां रात भर उत्सव चलता रहा।
मंदिर से जुड़े भक्त बताते हैं कि गांव के पटेल परिवार द्वारा दवा का वितरण किया जाता है और उनकी कई पीढिय़ां पिछले 50 वर्षों से दवा का वितरण कर रहे हंै और इस दवा का प्रभाव इतना है कि जिन जिन रोगियों ने शरद पूर्णिमा के दिन इस दवा का सेवन कर किए जाने वाले परहेज का नियमानुसार पालन किया है उन्हें अस्थमा रोग से मुक्ति मिली है।
और लोगों को मिलने वाले इस रोग से लाभ के कारण यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में अस्थमा रोगी पहुंचते हैं। रविवार को शरद पूर्णिमा के दिन लगभग 5 हजार अस्थमा ग्रसित रोगी मेले में पहुंचे जहां रात 11 बजे रामजानकी मंदिर पर आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया।
दवा सेवन के बाद रात भर जागना पड़ता है
मंदिर के महंत का कहना है कि शरद पूर्णिमा पर ही इस दवा का वितरण किया जाता है और दवा सेवन के बाद रोगी को मंदिर पर ही रात गुजारनी पड़ती है। जो भी रोगी रात भर मंदिर क्षेत्र में बैठकर रात व्यतीत करता है उसे पूर्ण रूप से इस रोग से मुक्ति मिल जाती है। रात भर जागने के साथ साथ दवा सेवन के बाद चार घंटे तक पानी पीना भी निषेध बताया है।
वहीं 8 दिन तक सिर्फ उबली हुई दाल और रोटी का सेवन करके परहेज किया जाता है। इस दौरान तम्बाकू, सुपाड़ी, बीड़ी, सिगरेट और व्यसन की कोई भी वस्तु का सेवन करना प्रतिबंधित है। साथ ही नमक, मिर्च, घी, तेल और बादी की कोई भी वस्तु परहेज के दौरान 8 दिन सेवन नहीं की जाने की सलाह मरीजों को दी जाती है।
