कोलारस। कोलारस नगर में नियमों को तोड़कर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। कोलारस ब्लॉक में गली कूचों में चाय-पान की दुकानों जैसे स्कूल खोले गए हैं, स्कूलों में सुविधा के नाम बैनर पोस्टर और पर्चो में दिखाई देती है लेकिन स्कूल कैंपस में नहीं,इन स्कूलों पर लगातार सुविधाओं के नाम पर भारी भरकम फीस वसूली जाती है। शिक्षा विभाग ने भी रेवड़ी की तरह स्कूलों को मान्यता प्रदान कर दी है।
इन सब में खास बात यह है कि पोर्टल पर मनगढ़ंत जानकारी फीड कर विभाग के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा धरातल पर जाकर जांच पड़ताल की जाए तब चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते है । चूंकि पोर्टल पर दर्ज की गई शिक्षा विभाग की जानकारी एवं स्कूलों में स्कूलों की माली हालत पोर्टल से एकदम उलट है। खेल मैदानों व बच्चों के बैठने वाले कक्षों की जानकारी जो पोर्टल पर दर्ज है वह धरातल से गायब है ।
जो पोर्टल पर है वह धरातल से गायब
नगर के संत फार्म में स्थित जीवन ज्योति पब्लिक स्कूल किराए के भवन के संचालित हो रहा है जिसमें मौके पर स्कूल के पास खेल मैदान नहीं है बता दे यह स्कूल हर साल स्कूल की बिल्डिंग बदलता है अब सवाल यह उठता है कि आरटीई के नियमों को दरकिनार कर मान्यता शिक्षा विभाग द्वारा कैसी दी जा रही है
अभिभावकों से अधिक फीस, शिक्षकों को वेतन कम
निजी स्कूलों में पालकों से 200 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक प्रत्येक विद्यार्थियों से मासिक शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन ऐसे स्कूलों में आरटीई के मापदंड के अनुरूप शिक्षक नहीं हैं। जानकारी के अनुसार निजी शालाओं में न्यूनतम 1500 सौ रुपए से अधिकतम 5 हजार रुपए तक मासिक पगार दी जा रही है। लिहाजा अल्प वेतनमान पर डीएड, बीएड जैसे योग्यताधारी शिक्षक नहीं मिलते। जिसके कारण 10वी व 12 वी पास शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे है नगर के निजी स्कूलों में शिक्षकों को केवल 10 महीने का अल्प वेतनमान दिया जा रहा है और पालकों से बच्चों की 12 महीने की फीस वसूली जाती है।
रैंप - रेलिंग की सुविधा नहीं
निजी स्कूलों में आरटीई के मापदंड के अनुरूप निःशक्त बच्चों के लिए रैंप - रेलिंग की व्यवस्था नहीं है। चूंकि यह स्कूल किराए के भवनों में संचालित हो रहे है नगर के कई नामी-गिरामी निजी स्कूल के भवनों में नि:शक्त बच्चों की जरूरी आवश्यकताओं के लिए यह सुविधा नहीं है। इसके अलावा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए कमोड सिस्टम के शौचालय भी नहीं है। बावजूद इन्हें मान्यता मिली हुई है।
रहवासी मकानों में चल रहे स्कूल
नगर के कई निजी स्कूल ऐसे हैं जो रहवासी मकानों में संचालित किए जा रहे हैं। महज 15 सौ से 2 हजार वर्ग फुट के मकानों में विगत कई वर्षो से प्राथमिक शालाएं संचालित की जा रही है। ऐसे स्कूलों में बच्चों के लिए आरटीई के मापदंड के अनुरूप न ही पर्याप्त कमरे हैं और न कमरों का आकार मापदंड के अनुरूप है। खेल मैदान के लिए भी विद्यार्थियों को तरसना पड़ रहा है।
50 से 100 विद्यार्थियों को पढ़ा रहे एक शिक्षक
नगर के निजी स्कूलों में 50 से 100 विद्यार्थियों को एक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। आरटीई के मापदंड के अनुरूप 30 विद्यार्थी पर एक शिक्षक जरूरी है। एक शिक्षक के भरोसे 30 से अधिक विद्यार्थियों की कक्षाएं ली जा रही है। राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हैं निजी स्कूलों के संचालक ज्यादातर निजी स्कूलों के संचालक किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए हैं। इससे कई तरह के लाभ हैं। राजनीतिक पहुंच होने की वजह से अधिकारी ऐसे स्कूलों का निरीक्षण कर वास्तविकता जानने का प्रयास नहीं करते। दूसरी ओर शासन से विभिन्न तरह से अनुदान लेने स्कूल के लिए धन बटोरते हैं। ऐसे स्कूलों के विरुद्ध कोई शासकीय सेवारत पालक आवाज उठता है तो उसे राजनीतिक रूप से दबाने का प्रयास किया जाता है।
दुकानों में चल रहे स्कूल
शहर के अभी तक छोटे छोटे मकानों में स्कूल चलाए
जा रहे थे लेकिन अब स्कूल संचालकों और अधिकारियों की मिलीभगत से सटर लगी दुकानों में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन इस ओर अधिकारियों द्वारा ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है।
इनका कहना हैं कि:
स्कूलों का मान्यता सर्टिफिकेट जिले से जारी होता है हम निरीक्षण करके उन्हें आगे बढ़ा देते है निजी स्कूलों पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है जो समय समय पर निरीक्षण करते है निजी स्कूलों की शिकायत के आधार पर ही हम निरीक्षण करते है
के. पी. जैन
बीआरसी कोलारस