BJP के प्रदेश अध्यक्ष ने अटल जी और राजमाता का अपमान किया?

Bhopal Samachar
भारतीय जनता पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। नाम है हेमंत खंडेलवाल, पूरा नाम हेमंत विजय खंडेलवाल। बैतूल से पहले सांसद थे आजकल विधायक हैं। इनकी प्रमुख पहचान है कि, भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे हैं और कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उनकी उपलब्धि है कि कुछ अध्यक्ष होने के बावजूद किसी ने उनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया। 

आज जब प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को सबसे पहली बार संबोधित किया तो ऐसा लगा जैसे मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना और विस्तार में कुशाभाऊ ठाकरे के अलावा उनके पिता विजय खंडेलवाल और उनके पिताजी के दोस्तों का ही योगदान है। हेमंत खंडेलवाल की उम्र 60 वर्ष हो गई है लेकिन जब उन्होंने मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे विजय खंडेलवाल का लड़का बोल रहा है। उनके भाषण में संगठन का कार्य करता और कार्यकर्ताओं का संगठक पूरी तरह से अनुपस्थित था। 

अटल जी और राजमाता सहित ग्वालियर-चंबल का अपमान

हेमंत खंडेलवाल ने अपने भाषण में एक नई तस्वीर प्रस्तुत कर दी। मध्य भारत में हिंदुत्व इतना शक्तिशाली था कि, प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू को ग्वालियर आना पड़ गया था लेकिन हेमंत खंडेलवाल ने अपने भाषण में इसका जिक्र तक नहीं किया। 
हेमंत खंडेलवाल ने अपने भाषण में कहा कि 
"हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अटल जी भी इस पार्टी के थे और राजमाता भी इस पार्टी की थी"। 
श्री हेमंत खंडेलवाल द्वारा उपरोक्त शब्दों का उपयोग करना आपत्तिजनक है। अपने पिता को "फादर" कहने वाले हेमंत खंडेलवाल को शायद पता ही नहीं है कि, स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उनके प्रभाव के कारण मध्य प्रदेश में भाजपा मजबूत हुई। स्वर्गीय राजमाता सिंधिया (जिन्होंने अपनी संतानों से पहले पार्टी का पालन पोषण किया) के बलिदान को भुलाकर, कोई खुद को भाजपा का कार्यकर्ता भी कैसे कह सकता है। 

श्री हेमंत खंडेलवाल ने पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्षों का नाम लिया परंतु श्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम एक बार भी नहीं लिया, जबकि वह दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे और दूसरी बार तो उन्हें तब बुलाया गया था जब पार्टी संकट में थी। कोई पार्टी के भीतर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ साजिश कर रहा था और सफल होने ही वाला था।

इस विषय पर हमने राजमाता साहब के दोनों उत्तराधिकारियों से उनकी प्रतिक्रिया मांगी परंतु मजबूरियां देखिए, स्वाभिमान के लिए आपातकाल की प्रताड़ना सहन करने वाली राजमाता साहब के उत्तराधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।