शिवपुरी। शिवपुरी जिले का सहकारी बैंक 80 मिलियन के घोटाले के बाद बस नाम का जिंदा खडा है,बैंक दिवालिया हो चुका है लोगों के जमा पैसे नहीं लौटा पा रहा है। आमजन का विश्वास बैंक से उठ गया इसलिए अब इसमें पिछले 2 साल से एक भी नया खाता नही खुला है इस डूबते हुए बैंक को ओर डुबाने की कोशिश इसकी समतिया कर रही है। कुल मिलाकर इसकी समितियां रुपयों का हेरफेर कर बैंक को दीमक की तरह चट करने में जुटी हुई हैं।
जिले की दर्जनों समितियों में खाद आदि की राशि ही बैंक में जमा नहीं की है। बैंक ने ऐसे समिति प्रबंधकों पर अब लगाम कसना शुरू कर दिया है। अभी बैंक ने करैरा विकासखंड की चार सहकारी समितियों को नोटिस थमाए हैं। इन्होंने डीएमओ से खाद लेकर किसानों को बेच दिया, लेकिन इसका पैसा डीएमओ के खाते में जमा नहीं करवाया।
खास बात यह है कि भुगतान के संबंध में जिला सहकारी बैंक की ओर से समिति प्रबंधकों को कई नोटिस जारी कर दिए गए, परंतु इसके बावजूद भुगतान नहीं किया गया। यही कारण है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा समिति प्रबंधकों को तीन दिन में भुगतान नहीं कराने की स्थिति में अमानत में खयानत करने के चलते एफआईआर कराने तक की चेतावनी दे दी है।
उल्लेखनीय है कि खाद वितरण के बाद समितियों द्वारा हर साल ऐसी गड़बड़ी सामने आती है। कई बार समितियां अपने एक खाते से दूसरे खाते में राशि ट्रांसफर कर भुगतान करना बता देती हैं। ऐसे मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं, लेकिन बैंक प्रबंधन इन पर लगाम कसने में नाकाम साबित हो रहा है।
यह समिति नही कर रही है पैसा जमा
जमा नहीं किए 11 लाख 66 हजार सहकारी बैंक ने जिन समिति प्रबंधकों को नोटिस जारी किए हैं उनमें अमर प्रकाश श्रीवास्तव, प्रभारी समिति प्रबंधक समिति करैरा, राकेश लोधी,प्रभारी समिति प्रबंधक समिति काली पहाड़ी, देवेन्द्र यादव, प्रभारी समिति प्रबंधक समिति दिनारा, रमन दुवे, प्रभारी समिति प्रबंधक समिति करही शामिल हैं। अमर प्रकाश ने 1 लाख 42 हजार 398 रुपये, राकेश लोधी ने 4 लाख 51 हजार 208 रुपये, देवेन्द्र यादव 2 लाख 80 हजार 626 रुपये, रमन दुबे ने 2 लाख 92 हजार 316 रुपये डीएमओ के खाते में जमा नहीं किए हैं।
बिगड़ रही बैंक की आर्थिक स्थिति, छवि हो रही धूमिल
बैंक प्रबंधन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिले भर में ऐसी दर्जनों समितियों है जिन पर इस तरह के बकाया है। यह राशि कई लाख रुपयों में है। बैंक से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस तरह की राशि जमा नहीं किए जाने से एक ओर जहां बैंक की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। इस कारण आम जनता और बैंक के खाताधारकों में भी बैंक की छवि धूमिल हो रही है। यही वजह है कि अब कोई सहकारी बैंक में खाता खुलवाने और पैसा जमा करने को तैयार नहीं है।
जमा नहीं करा रहे है समिति प्रबंधक पैसा
हमने कई समितियों को नोटिस जारी किए है, बकाया राशि भी काफी बड़ी है। फिलहाल मेरे पास कोई डाटा नहीं है कि यह राशि कितनी होगी। अगर समिति प्रबंधक उक्त राशि जमा नहीं करवाते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का विकल्प अपनाना पड़ेगा।
आरके दुबे, सीईओ,सहकारी बैंक