सिंधिया की NOC के बाद ली पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला ने BJP की सदस्यता, शिवकुमार गौतम ने लिखी स्क्रिप्ट

Bhopal Samachar
एक्सरे ललित मुदगल शिवपुरी।
शिवपुरी की राजनीति प्रतिदिन बदल रही है। कांग्रेस में नेताओं की संख्या कम हो रही है और भाजपा में नेताओं की संख्या बढ़ रही है,इसी क्रम में पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला ने अपने पुत्र आलोक शुक्ला सहित आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन सिंह यादव के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला गुना-शिवपुरी लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सन 2004 में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में हरिवल्लभ शुक्ला 86 हजार वोटो से हार गए थे।

शिवपुरी की राजनीति में ऐसी हवा चल रही थी कि पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी कांग्रेस का त्याग कर पुन:भाजपा में शामिल हो सकते है,हरिवल्लभ शुक्ला की भाजपा में शामिल होने की आहट नहीं थी,लेकिन हरिवल्लभ शुक्ला ने अपने पुत्र आलोक शुक्ला सहित मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव के समक्ष सदस्यता ग्रहण की है। इस सदस्यता के बाद कयास लगाए जा रहे है कि हरिवल्लभ शुक्ला ने कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य से इस विषय में बातचीत नहीं की और सीधे सीएम के समक्ष सदस्यता ग्रहण की है।

शिवकुमार गौतम ने लिखी स्क्रिप्ट

पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला के पार्टी परिवर्तन की स्क्रिप्ट किडस गार्डन स्कूल के डारेक्टर शिवकुमार गौतम ने तैयार की थी। सूत्रों के अनुसार शिवकुमार गौतम की ही बात इस विषय में कैबिनेट मंत्री ज्योरादित्य सिंधिया के विश्ववस्त व्यक्ति ओर हरिवल्लभ शुक्ला से चल रही थी। कल शाम गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया,मप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत,हरिवल्लभ शुक्ला सहित शिवकुमार गौतम की मीटिंग हुई थी ओर सिंधिया ने ही सीएम मोहन यादव से सदस्यता का समय फायनल किया था। कहने का सीधा सा अर्थ है कि सिंधिया की एनओसी के बाद ही हरिवल्लभ शुक्ला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।

यह बोले हरिवल्लभ शुक्ला

शिवपुरी समाचार से बातचीत करते हुए पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला ने कहा कि राम की उपेक्षा ओर सनातन का विरोध करते हुए कांग्रेस लगातार गर्त में जा रही है। इधर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी देश हित,जनहित और महिलाओं के हित में काम कर रहे है,इन सभी बातो को लेकर कांग्रेस से मोहभंग हो गया इस कारण भाजपा की सदस्यता ली है,अब इस लोकसभा चुनाव में सिंधिया जी को विजयी बनाने ओर मोदी जी के 400 पार के लक्ष्य की पूर्ति के लिए काम करेगें।

यह है पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला का राजनीतिक सफर

हम पाठकों को याद दिला दे की हरिवल्लभ शुक्ला ने कै.माधवराव सिंधिया से ही राजनीति का क, ख, ग सीखा था। बड़े महाराज की उंगली पकड़ हरिवल्लभ शुक्ला ने सन 1980 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से पहली बार विधायक पद की शपथ ली थी। जब प्रदेश में शुक्ल बंधुओं का जलवा कायम था। हरिवल्लभ की आस्था सजातीय शुक्ल बंधुओं की ओर अधिक हो गई और राजनीति में आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा से शुक्ल बंधुओं से नजदीकियां बढ़ रही थी, और बड़े महाराज से दूरियां।

सन् 1993 के विधानसभा चुनावों में हरिवल्लभ शुक्ला ने कांग्रेस से टिकट पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाया लेकिन टिकट मिलता ना देख अपने बड़े भ्राता स्व. रंजीत शुक्ला को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पोहरी विधानसभा से खड़ा किया लेकिन उन्हें यहां हार का मुंह देखना पड़ा, इस चुनाव में बैजंती वर्मा जो कांग्रेस की उम्मीदवार थी उन्हें विजयश्री प्राप्त हुई।

लगातार महल विरोध कर सुर्खियों में रहने वाले हरि बल्लभ शुक्ला को सन् 1998 में कांग्रेस से टिकट तो मिला पोहरी का नहीं बल्कि शिवपुरी विधानसभा से लेकिन हरिवल्लभ शुक्ला चुनाव में हार गए थे। इस चुनाव में भी हरिवल्लभ शुक्ला लगभग 5 हजार वोटों से पराजित हुए। लेकिन इस चुनाव में वे यशोधरा राजे से कहीं भी कमतर नहीं दिखे।

सन् 2003 के चुनाव में फिर पुन: पोहरी विधानसभा से कांग्रेस का टिकट ना मिलता देख व ज्योतिरादित्य सिंधिया से मनमुटाव के चलते शुक्ला ने कांग्रेस का साथ छोड़ समानता दल का हाथ थाम समानता दल से उम्मीदवार के रूप में पोहरी विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बनाया। जब शुक्ला ने कांग्रेस छोड़ दी आखिरकार इस चुनाव में हरिवल्लभ शुक्ला को सफलता मिल ही गई और वह दूसरी बार विधानसभा भवन भोपाल पहुंच ही गए।

महल विरोध के कारण हरिवल्लभ शुक्ला के इस प्रदर्शन को भाजपा ने बड़ी ही चतुराई से भुनाने का प्रयास किया। भाजपा ने सन् 2004 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया। भाजपा के प्रत्याशी बनते ही हरिवल्लभ शुक्ला ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ शब्दों के बाणों का फुल पैकेज लेकर बन बैठे।

इस चुनाव में हरिवल्लभ शुक्ला को हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस चुनाव में सबसे बड़ी बात यह देखने को आई कि सन् 2004 में भाजपा की सत्ता थी और कई जगह बूथ कैप्चरिंग का आरोप कांग्रेस ने लगाया। इस आरोप-प्रत्यारोप के चलते श्रीमंत को पहली बार शिवपुरी स्थित कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठना पड़ा।

2008 में पोहरी से भाजपा का टिकट मांगा पर नहीं मिला तो हरिवल्लभ ने बसपा का दामन थामकर चुनाव लड़ा लेकिन यहां से जनता ने इन्हें पूरी तरह नकार दिया और यहां से भाजपा के प्रहलाद को विजय मिली। इस चुनाव के बाद जैसे हरिवल्लभ के तेवर कुछ ढीले हो गए।

2013 के मप्र के आम विधानसभा चुनावो में हरिवल्लभ शुक्ला को कांग्रेस ने पोहरी विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन वह प्रहलाद भारती से हार गए। इसके बाद 2018 में भी हरिवल्लभ शुक्ला ने पोहरी से टिकट की मांग की,लेकिन कांग्रेस ने हरिवल्लभ शुक्ला की जगह वर्तमान विधायक सुरेश राठखेड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया,वही 2020 के पोहरी के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में लड था जिसमें बुरी तरह हार हुई थी।

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