बामौरकलां। बामौरकलां जैन समाज द्वारा आज 23 फरवरी को वार्षिक विमानोत्सव का आयोजन किया गया। आज से 11 वर्ष पूर्व 18 से 23 फरवरी 2013 को बामौर कलां में परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महामुनि राज के परम प्रभावक शिष्य जगत पूज्य मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज जी के मंगल सानिध्य में श्री पंचकल्याणक महोत्सव का विशाल आयोजन हुआ था।
उसी कार्यक्रम की स्मृति को चिरस्थाई बनाने एवं अभी हाल ही में पिछली 18 तारीख को इस धरती के देवता के नाम से विख्यात परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की सल्लेखना पूर्वक समाधिमरण किया । इस समाधि से पूरा का पूरा देश स्तब्ध है और प्रत्येक गांव शहर में विनयांजलि सभाएं आयोजित की जा रहीं हैं उसी क्रम में आज बामौर कलां में भी विनयांजलि सभा का आयोजन भी किया गया ।
यह कार्यक्रम परम पूज्य सरल सागर जी महाराज, पूज्य मंगलानंदी जी महाराज एवं पूज्य मंगल सागर जी महाराज की मंगल सन्निधि में आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पिछोर विधायक श्री प्रीतम सिंह लोधी जी रहे । विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा जिला उपाध्यक्ष श्री प्रहलाद सिंह यादव जी, पूर्व मंत्री श्री भैया साहब लोधी जी, श्री अशोक सिंह यादव जी, मंडल अध्यक्ष श्री उदयभान सिंह यादव, दीपू महाराज, मदन सोनी, मनोज गुप्ता, मनोज नेताजी, बनवारी लाल श्रीवास्तव,मुकेश पटेरिया, अनिल नीखरा, मुकेश शर्मा, राजेश तिवारी आदि अतिथि सम्मिलित हुए ।
इस अवसर पर पिपरा, अछरौनी, मुहारी , खनियाधाना, चमरौआ, डबिया, गूडर, पिपरौदा, चंदेरी, प्राणपुर, टीकमगढ़, इंदौर, उज्जैन, खिमलाशा, बीना आदि अनेक स्थानों के लोग सम्मिलित हुए। इस अवसर पूज्य सरल सागर जी महाराज ने प्रवचन में एक आह्वान देश के नागरिकों से किया कि जो नौकरी कर रहे हैं और वो इतने सक्षम हो गए हैं कि यदि नौकरी न भी करें तो उनके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
यदि ऐसे सक्षम लोग अपनी नौकरी छोड़ दें तो इससे उन बेरोजगार युवकों को नौकरी मिल जायेगी जिनको नौकरी की नितांत आवश्यकता है। यदि संपन्न लोग इस अपील पर अमल करें तो हमारे देश की बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। श्री प्रहलाद सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ये देश हमेशा से संतों का सम्मान करता रहा है और आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी तो संत नहीं अपितु साक्षात भगवान थे ।
मुख्य अतिथि विधायक श्री प्रीतम सिंह लोधी जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संतों के सामने मैं क्या बोलूं । इनसे हमें ऊर्जा मिलती है और मैं तो हमेशा जैन समाज के साथ रहा हूं । और भविष्य में भी जैन समाज मुझे जो भी कार्य सौपेगी मैं जरूर से जरूर उस कार्य को पूर्ण करूंगा । इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा एक लघु नाटिका जैसी करनी वैसी भरनी का मंचन किया।
इस नाटक को उपस्थित जनसमूह द्वारा बहुत पसंद किया गया। जैन समाज कमेटी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार आज प्रातः श्री 1008 पार्श्वनाथ विधान का आयोजन भी किया गया । समस्त कार्यक्रम पंडित श्री अनुभव जी शास्त्री खनियाधाना के निर्देशन में संपन्न हुए ।