कूनो में रणथंभौर से पहुंचा मादा टाइगर टी-102 का शावक,उसके लिए शिवपुरी की राह भी है आसान - SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। शिवपुरी जिले की सीमा से सटे कूनो नेशनल पार्क में भ्रमण कर रहे टाइगर की पहचान हो चुकी है,इस टाइगर की पहचान मादा टाइगर टी-102 का शावक के रूप में हुई है। यह टाइगर रणथंभौर से 6 माह पूर्व निकला था। इस टाइगर के लिए अब शिवपुरी की राह भी आसान है इससे पूर्व कूना से आवारा ओवान भी शिवपुरी की सीमा में प्रवेश करते हुए माधव नेशनल पार्क पहुंच चुका था। सरकार शिवपुरी में पर्यटन को बढावा देने के लिए जिस कॉरिडोर का प्लान कर रही थी उस प्लान पर चीता और टाइगर ने अमल करना शुरू कर दिया है।


बताया जा रहा है कि यह उक्त टाइगर रणथंभौर से पहले गंगापुर के जंगल पहुंचा। वहां से करौली और धौलपुर के जंगल में रहने के बाद चंबल नदी से होते हुए राजस्थान बॉर्डर पार किया और मुरैना जिले की सीमा में दाखिल हुआ। फिलहाल, वह कूनो नेशनल पार्क में है।

कूनो प्रशासन के मुताबिक, उसे यहां की आबोहवा पसंद आ रही है। यहां वन्यजीवों का शिकार कर अपना पेट भी भर रहा है। रणथंभौर सेंचुरी के वन्य जीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल की राय है कि इस टाइगर को कूनो से वापस लाने की जरूरत नहीं है। रणथंभौर में मेल टाइगर की संख्या काफी है, ऐसे में यह टाइगर टेरिटरी फाइट में फंस सकता है।

खांडल ने कहा, 'मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में माधव नेशनल पार्क भी है। सरकार चाहे तो इस टाइगर को माधव नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जा सकता है। विकल्प यह भी है कि कूनो में एक मादा टाइगर छोड़ दी जाए ताकि वहां भी इनकी वंश वृद्धि हो सके।'

कूनो में पहले भी आते रहे हैं टाइगर

वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि देश में चीतों के इकलौते घर कूनो नेशनल पार्क में पहले भी रणथंभौर से टाइगर आते रहे हैं। कूनो नेशनल पार्क में टाइगर के लिए अनुकूल वातावरण और पर्याप्त मात्रा में शिकार के लिए वन्य जीव मौजूद हैं। हालांकि, काफी वक्त गुजारने के बाद वे यहां मादा टाइगर नहीं होने की वजह से लौट जाते हैं।