लटका है सालो से शिवुपरी का लॉ कॉलेज:जमीन आवंटन के बाद भी नही लगे बिल्डिंग निर्माण के टेंडर,पढिए क्यों
शिवपुरी। शिवपुरी लॉ कॉलेज के लिए जमीन का आवंटन को महीनों बीत चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी फिलहाल कालेज का न तो टेंडर हो सका है। कार्यपालन यंत्री भवन संभाग (पीआइयू) ने बजट संशोधन के लिए भोपाल पत्र लिखा है। बजट संशोधन के उपरांत ला कॉलेज का टेंडर हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि शिवपुरी में ला कालेज का संचालन फिलहाल पांच दशक से भी अधिक समय से साइंस कालेज की इमारत में हो रहा है, लेकिन पिछले वर्ष 53 साल बाद उच्च शिक्षा विभाग ने ला कालेज के प्रथक से निर्माण के लिए हरी झंडी देते हुए 7 करोड़ 59 लाख 93 हजार रुपये का बजट स्वीकृत कर दिया। कालेज के निर्माण के लिए आरटीओ आफिस के पास 30 बीघा जमीन भी ला कालेज के लिए आवंटन कर दिया गया है, परंतु अभी तक ला कालेज का न तो टेंडर हो चुका है और न ही कोई अन्य प्रक्रिया आगे बढ़ सकी है।
जब इस संबंध में पड़ताल की गई तो जानकारी मिली की लॉ कॉलेज के निर्माण के लिए तय की गई एजेंसी पीआइयू ने लॉ कॉलेज के लिए आवंटित किए गए बजट को कम मानते हुए बजट संशोधन के लिए भोपाल चिट्ठी भेजी है। बताया जा रहा है कि बजट संशोधन के संबंध में भोपाल में कई बैठक हो चुकी हैं, लेकिन फिलहाल बजट संशोधन के संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका है। माना जा रहा है कि आचार संहिता से पहले बजट संशोधन पर कोई निर्णय हो सकता है। बजट संशोधित होते ही लॉ कॉलेज के टेंडर हो सकेंगे।
दो माह तक नहीं आई स्वीकृति तो लटकेगा टेंडर
अधिकारियों का कहना है कि अगर कालेज का बजट संशोधित होकर एक-दो महीने में आ गया तो ही कालेज के टेंडर हो पाएंगे। अगर इसके बाद बजट संशोधन होकर आता है तो आचार संहिता व चुनाव के चलते लॉ कॉलेज के टेंडर अगले साल तक के लिए लटक जाएंगे। कुल मिलाकर बजट का आवंटन हो चुका है जमीन में चिन्हित हो चुकी है लेकिन बजट बढाने को लेकर अभी तक टेंडर नही लगे है। शिवपुरी के जनप्रतिनिधियों की वर्कशॉप में शिवपुरी के स्टूडेंट के लिए प्लान नहीं है। यह उदाहरण हम सबके सामने है।
इनका कहना है
लॉ कालेज की सारी प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो चुकी है, लेकिन जो बजट सेंशन हुआ था वह पुरानी रेटों के अनुसार था। ऐसे में पीआईयू ने बजट संशोधन के लिए भोपाल भेजा है। इसे समय भी हो चुका है, ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही बजट संशोधन हो जाएगा। बजट संशोधित होते ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी ।
दिग्विजय सिंह सिकरवार एचओडी कानून विभाग