SHIVPURI NEWS- अधिकारी बनने का सपना लेकर दुनिया से अलविदा कह गया हेंमत, 7 अप्रैल से था वेंटिलेटर पर

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शिवपुरी
। शिवपुरी जिले के पोहरी अनुविभाग की सीमा में बैराड़ थाना सीमा मे आने वाले गाँव गाजीगढ का रहने वाला युवक हेमंत अधिकारी बनने का सपना लेकर इस दुनिया से अलविदा कह गया। पिछले 20 दिन से हेमंत ग्वालियर के अस्पताल में वेंटिलेटर पर था और मौत से जंग लड रहा था। बीते रात जिंदगी और मौत की लड़ाई में मौत जीत गई और हेमंत की मौत हो गई। हेमंत की डेड बॉडी शिवपुरी आई जिसका आज अंतिम संस्कार किया गया।

श्योपुर में हुआ था हेमंत का एक्सीडेंट

हेमंत पुत्र रामदयाल जाटव निवासी गाजीगढ हाल निवासी गायत्री कॉलोनी शिवपुरी श्योपुर में सांख्यिकी विभाग में नौकरी कर रहा था। 21 मार्च की शाम को श्योपुर में होटल टीएमसी के सामने हेमंत की बाइक और एक्टिवा में जोरदार टक्कर हुई। इस घटना में हेमंत गंभीर घायल हो गया था। बताया जा रहा है कि एक्सीडेंट के बाद हेमंत होश में नहीं आया था वह कोमा में चला गया था। उपचार के लिए हेमंत को ग्वालियर के बिरला हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था।

बिरला में एम्फ्रूमेंट नही 7 अप्रैल को यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती कराया

जानकारी मिल रही है कि ग्वालियर के बिरला हॉस्पिटल में परिजनों ने लाखों रुपए खर्च कर दिए थे,फिर भी हेमंत के स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा था। परिजनों ने बेहतर परिणाम के लिए 7 अप्रैल को ग्वालियर के यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती कराया था वहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था,जहां हेमंत ने बीती रात्रि को दम तोड़ दिया।

लगतार शासकीय नौकरी में चयनित हुआ था हेमंत

हेमंत पढने लिखने में होशियार था। हेमंत की जॉब टीचर,फॉरेस्ट विभाग में फिर श्योपुर कलेक्टर कार्यालय के सांख्यिकी अनुविभाग में अन्वेषक के पद पर पदस्थ हो गया था। जिसके चलते वह श्योपुर में रहकर नौकरी कर रहा था। बताया जा रहा है कि उनका अभी मध्य प्रदेश लोक राज्यसेवा की प्रारंभिक परीक्षा में चयन हुआ तथा हेमंत नौकरी के साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहे था। जिनका जुलाई 2023 पेपर भी था। हेमन्त के परिवार में विधवा वृद्ध माता और एक भाई और बहन हैं तथा उनकी माता ने उन्हें गरीबी के हालात में पढाकर काबिल बनाया था।

धरा रह गया फंड,सोशल पर अभियान भी चलाया था

बताया गया है कि उसकी गंभीर हालत के दौरान उनके उपचार के लिए फंड एकत्रित करने के लिए सोशल मीडिया पर एक मुहिम भी चलाई गई थी। इस मुहिम के जरिए लोगों ने पैसे भी एकत्रित किए थे। परंतु यह मुहिम के साथ साथ लोगों ने इनके लिए दुआएं भी की थी परंतु यह दुआ और फंड एकत्रित होकर रह गया और वह जिंदगी की जंग हार गए।
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