भगवान आदिनाथ जन्म जयंती महोत्सव: पोहरी किले से और करैरा में बड़ा जैन मंदिर से निकाली शोभा यात्रा- Karera News

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करैरा।
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्मोत्सव कार्यक्रम करैरा नगर में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर महामुनि राज के परम प्रभावक आज्ञा अनुवर्ती शिष्य मुनि श्री पदम सागर जी महाराज के सानिध्य में बड़े ही धूमधाम व भक्ति भाव से मनाया गया। जिसमें आदिनाथ जिनालय कृष्णागंज से भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा को रथ में सवार कर बड़ा जैन मंदिर जी से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए विशाल शोभायात्रा निकाली गई।

जिसमें नगर के समस्त जैन समाज ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखकर इस रथ यात्रा में सपरिवार हिस्सा लिया जिनमें महिलाएं, बच्चे, पुरूष अपनी अपनी वेशभूषा में महाराज श्री के साथ रथ यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे जैसे ही न्यू कॉलोनी स्थित महावीर जिनालय मंदिर के प्रांगण में रथ यात्रा पहुंची। तो गगनचुंबी जयकारों के साथ आदिनाथ भगवान को ससम्मान रथ से पांडुक शिला पर विराजमान किया गया। जहां मुनि श्री पदम सागर जी महाराज के सानिध्य व निर्देशन में सभी इंद्रों ने भक्तिभाव से 108 कलशों व रिद्धि मंत्रों के साथ अभिषेक, बृहद शांतिधारा, पूजन, श्री आदिनाथ विधान कर धार्मिक क्रियाएं संपन्न की।

पोहरी में शोभायात्रा किले के अंदर मंदिर से शुरू

शिवपुरी। जिले के पोहरी नगर मे भगवान आदिनाथ का जन्म कल्याणक जैन समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान समाज के युवा पुरुष महिलाओं सभी वर्गों में उत्साह देखा गया भगवान आदिनाथ की शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली गई। जहाँ जैन समाज के लोगों ने शोभायात्रा में बढ़चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई। नगर वासियों ने भी जैन समाज द्वारा निकाली गई शोभायात्रा का जगह-जगह जोरदार स्वागत किया।


जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर श्री 1008 आदिनाथ भगवान का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी के दिन हुआ था। इस दिन को जैन समाज द्वारा भगवान आदिनाथ की जयंती को जन्म कल्याणक के रूप में मनाया जाता है। जैन समाज पोहरी से पत्रकार योगेंद्र जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि पोहरी नगर मे अति प्राचीन श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर अतिकारी जैन मंदिर पर आदिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक बड़े ही धूम धाम से मनाया गया।

गुरूवार को प्रातः काल भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा भक्तो द्वारा भक्ति भाव से की आज़ जन्म कल्याणक का उत्साह सुबह से ही भक्तो मे विशेष था भक्ति भाव से अभिषेक के बाद भगवान जिनेंद्र देव की पूजन भक्तो द्वारा किया गया। शिवपुरी से पधारे पंडित सुगनचंद जैन अमोला द्वारा भगवान के जन्म कल्याणक मे भक्तामर विधान किया गया जिसमे 48 अर्घ चढाए गए। एक एक अर्घ का महत्व पंडित जी ने बताया गया।

इसी दौरान पोहरी के संगीतकार अरुण जैन एंड पार्टी द्वारा कई भजनों की शानदार प्रस्तुति पर भक्ति भाव से भाव विभोर हो गए और अपने आप को थिरकने से नहीं रोक पाए। विधान के पश्चात भगवान की शोभायात्रा किले के अंदर मंदिर से शुरू हुई जो नगर के मुख्य मार्गो से होते हुई चौराहा से वापिस जैन मंदिर पर समापन जहाँ पर भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा भक्तो द्वारा की गई। इस दौरान समाज के बड़ी संख्या में बच्चे, युवा, पुरुष एवं महिलाएं मौजूद रही।
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