शिवपुरी में गंभीर और जानलेवा बीमारी से लड़ने में विकलांग साबित हो रहा है 200 करोड़ की लागत से बना मेडिकल कॉलेज- Shivpuri News

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शिवपुरी।
शिवपुरी में भाजपा सरकार का विकास का पोस्टर 200 करोड़ की लागत से बना मेडिकल कॉलेज गंभीर और जानलेवा बीमारी से लडने में विकलांग है। शासन ने चमचमाती बिल्डिंग तो बना दी लेकिन उसमें विशेषज्ञ डॉक्टर नही है,जांच मशीन है लेकिन जांच करने वाला स्पेशलिस्ट नही है। केवल मौसमी बीमारियो का ईलाज के रूप मे OPD चालू है,आज भी शिवपुरी टू ग्वालियर मरीजों की रैफर एक्सप्रेस चालू है।

कोरोना काल में बदनाम हो गया था शिवपुरी का मेडिकल कॉलेज

शिवपुरी का मेडिकल कॉलेज कोरोना संक्रमण काल के दौरान आनन-फानन में अप्रैल 2021 में शुरू किया गया था। तत्समय कोरोना मरीजों की सबसे अधिक मौत मेडिकल कॉलेज में ही हुई थी, जिसके चलते एक समय ऐसा आया था कि कोरोना मरीजों को उनके परिजनों ने यहां भर्ती कराना बंद कर दिया था।

कॉलेज में पदस्थ स्टाफ की मौत,उपचार नही मिल सका था

2021 से मेडिकल कॉलेज में ओपीडी शुरू की गई, जिसमें मरीजों को देखने के साथ ही उनका उपचार भी किया जा रहा है। लेकिन यहां आलीशान बिल्डिंग में उन गंभीर बीमारियों का उपचार नहीं है, जिनमें लोग जान गंवा देते हैं। इतना ही नहीं पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज के स्टाफ में शामिल एक युवक को अटैक आने पर उसका उपचार नहीं हो सका तथा ग्वालियर रेफर करने के बाद उसकी मौत हो गई थी।

सिर की गंभीर चोट के लिए इलाज नही

शिवपुरी जिले से 2 नेशनल हाईवे निकल रहे है। एक्सीडेंटो के केसा की संख्या अधिक है,लेकिन शिवपुरी के मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजी विभाग के नाम पर शून्य है। किसी सड़क हादसे में यदि सिर की कोई गंभीर चोट, लग गई, तो वो चोट जानलेवा है या नहीं, यह पता करने के लिए न तो न्यूरोसर्जन है और न ही न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट हैं। मरीज को शिवपुरी टू ग्वालियर रैफर एक्सप्रेस से रवाना करना होगा।

कार्डियोलॉजिस्ट: हार्ट अटैक आने पर दिल के मरीज की जांच करके उसमें कितने ब्लॉक हैं तथा वो जीवन के लिए कितने गंभीर हैं यह पता करने के लिए कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है।
नेफ्रोलॉजिस्ट : शिवपुरी में किडनी में पथरी के मरीज के सबसे अधिक हैं। मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजिस्ट भी नहीं हैं, जिसके चलते पथरी का ऑपरेशन भी यहां नहीं होता।
गैस्ट्रोलॉजिस्ट : शिवपुरी का पानी खराब होने की वजह से लीवर के मरीजों की संख्या भी कम नहीं है, लेकिन गैस्ट्रोलॉजिस्ट न होने से उन मरीजों को भी बाहर ही जाना पड़ रहा है।

जांचों की स्थिति भी दयनीय

सबसे छोटी जांच अल्ट्रासाउंड मानी जाती है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में भी रेडियोलॉजिस्ट न होने की वजह 'से यह मशीन भी बंद पड़ी है। इसके अलावा दिल के मरीजों के लिए जरूरी ईको व एंजियोग्राफी जांच की सुविधा भी यहां नहीं है। टीएमटी जांच की टेक्नीशियन टीम है, इसलिए यह जांच हो जाती है।

सुपर स्पेशलिटी में होती हैं सुविधाएं

कार्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट,गैस्ट्रोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जरी जैसी सुविधाएं तब शुरू होती है, जब मेडिकल कॉलेज को सुपर स्पेशलिटी का दर्जा मिलता है। ग्वालियर को अभी कुछ समय पहले ही यह दर्जा मिला है। यदि कोई बैच निकलेगा तो कुछ विशेषज्ञ तो मिल सकते हैं।
डॉ. केबी वर्मा, डीन मेडिकल कॉलेज शिवपुरी
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