Shivpuri News- राजनीति और चरण पादुका उठाने वाले शिक्षकों की वजह से 230 स्कूल बंद करने के आदेश जारी

Bhopal Samachar
शिवपुरी। विकास,सुशासन और शिक्षा का अधिकार लागू करने वाली मप्र में विराजमान भाजपा की सरकार में शिवपुरी जिले के 631 सरकारी स्कूल ऐसे शिक्षकों की वजह अपना दम तोड रहे है जो राजनीति में पकड़ रखते है अधिकारियों के चरण पकड़ने में माहिर है और रिश्वत देने में आगे रहते हैं।

सीधे सीधे लिखते हैं कि राजनीति में अपनी पकड़ रखने वाले शिक्षक और चरण पकड़ने की कला में माहिर शिक्षकों की वजह से जिले के 631 स्कूलों में शिक्षा का स्तर जीरो हैं इस कारण दो सैकड़ा स्कूल बंद करने की तैयारी मप्र शासन कर रहा हैं। विकास का दम भरने वाले जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान नही हैं,कही ना कही से जनप्रतिनिधि या संगठन में अपनी पकड़ रखने वाले नेताओं ने इन स्कूलों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया हैं।

समझे ऐसे अपनी मौत मर रहे है जिले के सरकारी स्कूल

जिले में 260 सरकारी स्कूल शिक्षक विहीन हैं यानी यहां एक भी शिक्षक नहीं है जबकि यहां छात्रों के एडमिशन हैं। ऐसे स्कूलों को अतिथि शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है। शिक्षक नहीं होने की वजह से इन स्कूलों को नजदीक के स्कूलों में मर्ज करने पर भी विचार चल रहा है।

इनके अलावा 631 स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की पढ़ाई सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है। वहीं जिले में 230 स्कूलों में छात्र संख्या 20 से भी कम रह गई है। कम बच्चों की संख्या को देख शिक्षा मुख्यालय ने इन्हें बंद करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए भोपाल से फरमान जारी हो गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने बताया कि सूची तैयार कर भोपाल भेज रहे फाइनल आंकड़ा तो आपको नहीं बता सकते, लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक नहीं है और शून्य नामांकन हैं। इसकी सूची तैयार कर भोपाल भेज रहे हैं।

आप ही समझे शिवपुरी जिले के सरकारी स्कूल में नेतागिरी और चरण पकड़ने वाले शिक्षकों की कार्यप्रणाली के कारण इन स्कूलों का यह हाल हुआ हैं। सबसे पहले बात करते हैं 260 स्कूलों की जिसमें एक भी शिक्षक नहीं हैं आखिर ऐसा क्यों हुआ। क्या इन स्कूलों के शिक्षकों के ट्रांसफर करते समय अधिकारियों को यह नहीं पता था कि यह स्कूल शिक्षक विहीन हो जाऐगा इसमें पढने वाले बच्चे किसके भरोसे हैं। यहां स्कूल के भवन है बच्चे है लेकिन शिक्षक नहीं हैं। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक नेतागिरी,चमचागिरी या रिश्वत की दम पर अपने सुविधा वाले स्कूलों में ट्रांसफर लेकर घर बैठ गए होंगें।

अब बात करते हैं 631 ऐसे सरकारी स्कूल जिसमें एक एक शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहा हैं। इन स्कूलों के शिक्षक कहा है और वह किस नियम से यहां से गायब हो गए यह एक जांच का विषय हो सकता हैं। यह भी यह नियम लागू हुआ होगा नेतागिरी,चमचागिरी या रिश्वत की दम पर अपना ट्रांसफर अपनी सुविधा वाले स्कूलों में आराम करने। अब इन बच्चों के भविष्य का क्या होगा जो इनमें पढने के लिए आते होगें।

अब बात करते है जिले के उन 230 स्कूलों की छात्र संख्या 20 से भी कम रह गई है और 30 स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या शून्य है।
जबकि 1 से 5 तक छात्र संख्या वाले स्कूल तकरीबन 35 और 5 से 20 की संख्या वाले स्कूल 165 हैं। स्कूलों को बंद करने के बाद यहां पढ़ाई करने वाले बच्चों को शिफ्ट कराने की प्लानिंग भी शुरू हो गई है ताकि कम छात्र संख्या वाले स्कूल में ताला लगाकर पास के अन्य स्कूलों में पढ़ाया जा सके।

यदि ऐसा हुआ तो जिले के 230 सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल बंद हो जाएंगे और शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बच्चों को प्रत्येक किलोमीटर पर एक से पांचवीं और प्रति 3 किलोमीटर की रेंज में आठवीं तक की पढ़ाई उपलब्ध होना भी मुश्किल हो जाएगी।

कुल मिलाकर शिवपुरी जिला जिसने प्रदेश में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आधा दर्जन मंत्री दिए हैं। लेकिन आधा दर्जन से अधिक मंत्री वाले जिले में स्कूलों का यह हाल हैं। स्कूलों का बंद करने की जगह उनको सुचारू रूप से चलाने और व्यवस्था की दिशा में काम करना चाहिए ना की उन्हें बंद करने की। सरकार एक ओर जहां नए स्कूल खोल रही है। अपने विकासरूपी होर्डिंग्स और बैनर पर विकास इन्हे छापा जा रहा होगा,लेकिन क्या सरकार इन बंद होते स्कूलों के आंकड़ों को भी जनता को प्रस्तुत करेगी की हमारे कार्यकाल में इन और जिलों में इतनी संख्या में स्कूल बंद होने की कगार पर आ चुके हैं क्या इतनी हिम्मत है भाजपा की सरकार में.............................

अतिशेष की सूची तैयार करवा रहे
पोहरी क्षेत्र के जब हमने स्कूलों का निरीक्षण किया तो यह समस्या सामने आई। इसलिए हमने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि वह अतिशेष शिक्षकों की लिस्ट तैयार करें, ऐसे शिक्षक जो निलंबित हैं और उन पर कोई क्रिमिनल केस नहीं है, उन्हें बहाल करने की भी प्रक्रिया चल रही है। उन्हें एक शिक्षकीय स्कूलों में पदस्थ करेंगे।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर
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