कलेक्टर सर, मगरमच्छ का दान पत्र दिखाओ, नहीं तो जमीन खाली करवाओ- Kuhla Khat

Bhopal Samachar
पिछले दिनों जब ठीक प्रकार से बारिश हुई तो कुछ मगरमच्छ गहरे तालाब से बाहर निकले और उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी का सीमांकन किया। सरकारी रिकॉर्ड में इस जमीन को रिहायशी इलाका बताया गया है, जबकि मगरमच्छ की मौजूदगी ने स्पष्ट कर दिया है कि यह जमीन उसकी संपत्ति है और उसने किसी को नहीं दी है। 

मध्यप्रदेश में संपत्ति से संबंधित कानूनों के अनुसार जब तक कोई अपने स्वामित्व की संपत्ति किसी दूसरे व्यक्ति को विक्रय नहीं कर देता या फिर उपहार अथवा दान में नहीं देता तब तक उसकी संपत्ति पर उसकी मर्जी के बिना कोई गतिविधि संचालित नहीं की जा सकती। सवाल यह है कि मगरमच्छ की संपत्ति पर कालोनियां क्यों बनाई। 

अब जबकि मगरमच्छ ने आकर सीमांकन कर दिया है तो वह सारी काॅलोनियां विवादित हो गई है। जरूरी हो गया है कि इनके दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं। मगरमच्छ अथवा वन्य प्राणियों की तरफ से कोई विक्रय पत्र या कोई दान पत्र हो तो बताया जाए। यदि सरकार ने मगरमच्छ की जमीन को अधिग्रहीत किया है और उसके बदले दूसरी जमीन दी है अथवा मुआवजा दिया है तो वह भी बताया जाए। विवादित जमीन का 500 साल का रिकॉर्ड निकलवाया जाए।

यदि उपरोक्त सब कुछ नहीं है तो यह प्रमाणित होता है कि इंसानों के प्रशासन ने वन्य प्राणियों की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। यह जमीन मगरमच्छ को वापस लौटाई जानी चाहिए और इन कॉलोनियों में रहने वाले सभी लोगों को किसी और स्थान पर विस्थापित करना चाहिए। यदि अभी नहीं किया तो भविष्य में परिणाम भुगतना होगा। इस साल 3 आए थे, अगले साल 300 आ सकते हैं। चांद पाठा में हजारों हैं।
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