भानुप्रताप सिंह@ शिवपुरी। शिवपुरी जिले में 11 नगर निकाय है,इसी चुनावी मौसम में 10 निकायो मे चुनाव संपन्न हुए है। जिले की नरवर नगर परिषद में हाई कोर्ट के आदेश के 6 माह पूर्व चुनाव संपन्न हुए थे जहां भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। जिले की 11 निकायों में 9 नगर परिषद पर कब्जा है अगर भाजपा 2 निकायों में गलती नही करती तो 11 परिषद पर ही भाजपा का कब्जा होता,शायद भाजपा इस बात को लेकर पछता भी रही होगी और सोच रही होगी की यहां हमसे भूल हुई है।
इसी चुनावी मौसम में शिवपुरी की नगर पालिका पर भाजपा की गायत्री शर्मा निर्विरोध निर्वाचित हुई है,इसी प्रकार बदरवास में भाजपा की प्रयाग बाई परिहार अध्यक्ष चुनी गई,कोलारस निकाय में भाजपा की अध्यक्ष प्रियंका शिवहरे,रन्नौद निकाय पर भाजपा की राजकुमारी अध्यक्ष चुनी गई,मगरौनी निकाय पर भवानी शंकर कोरकू भाजपा से अध्यक्ष चुने गए। पोहरी की निकाय पर पहली बार चुनाव हुए और इसमें भाजपा ने अपना निर्विरोध अध्यक्ष रश्मि नेपाल वर्मा के रूप में बना लिया।
वही बैराड़ निकाय के अध्यक्ष के मालती रावत करैरा की परिषद की अध्यक्ष शारदा रामस्वरूप रावत चुनी गई है इससे पूर्व नरवर में हुए निकाय चुनाव में अध्यक्ष के रूप में पदमा संदीप माहेश्वरी अध्यक्ष बनी जिले की उक्त 9 निकायों पर भाजपा का कब्जा रही है,वही पिछोर विधानसभा की 2 परिषद पिछोर और खनियाधाना पर कांग्रेस का कब्जा हो गया,यहां भाजपा से चूक हुई इस कारण कांग्रेस जीती।
पिछोर के पहलवानी को पटकनी दे सकती थी भाजपा
जिले की करैरा विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है,करैरा विधायक प्रागीलाल जाटव कोई कमाल नहीं कर सके करैरा विधानसभा की आने वाली तीनो निकाय करैरा,नरवर और मगरौनी पर भाजपा ने कब्जा कर लिया,लेकिन कांग्रेस का अभेद किला पिछोर विधानसभा में भाजपा को कांग्रेस के पहलवान ने भाजपा को भाजपा से ही चित्त करा दिया।
पिछोर नगर परिषद के अध्यक्ष पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष विकास पाठक की धर्मपत्नी कविता पाठक बनी है। विकास पाठक भाजपा के मंडल अध्यक्ष भी रह चुके है विकास पाठक ने अपना अध्यक्ष पद का चुनाव जनता के वोट से जीता था।
पिछोर में भाजपा की राजनीति के चलते विकास पाठक की पत्नी कविता पाठक को भाजपा ने पार्षद तक का टिकट नहीं दिया,जिससे वह निर्दलीय चुनाव लड़ी और विजयी हुई। विकास पाठक ने अध्यक्ष के चुनाव होने के कुछ घंटो पूर्व कांग्रेस की सदस्यता ली और पिछोर नगर परिषद की अध्यक्ष की सीट पर कब्जा कर लिया यू कह लो कि कक्काजू के कैंप में आते ही विकास की कविता अध्यक्ष बन गई,अगर भाजपा विकास पाठक को पार्षद का टिकट दिया होता तो शायद यह तस्वीर न बनी होती,यहां भाजपा ने अपने ताकतवर नेता को टिकिट ने देकर चूक कर दी और इस चूक का परिणाम भाजपा को नगर परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी से दूर होना पडा।
कुछ ऐसी ही कहानी खनियाधाना मे रही वर्षो से भाजना के झंडे को थामने वाला परिवार भाजपा का त्याग करते हुए,कांग्रेस से हाथ मिला लिया। खनियाधाना में भाजपा बहुमत में थी भाजपा के 8 पार्षद विजयी हुए,कांग्रेस के 6 और निर्दलीय पार्षद चुनकर आया,लेकिन यहां भाजपा 1 वोट से हार गई। भाजपा ने डॉ ऋतु चौधरी को मेंडेट दिया।
इससे नाराज होकर भाजपा की राधा अंकित साहू बगावत करके कांग्रेस में चली गईं। कांग्रेस प्रत्याशी छाया सत्येंद्र साहू को 8 वोट मिले और डॉ ऋतु को 7 वोट मिले। इस तरह छाया साहू एक वोट से अध्यक्ष निर्वाचित हुईं हैं,कुल मिलाकर यहां भाजपा ने अपना गलत प्रत्याशी चुनकर बहुमत में आने के बाद भी अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा नहीं कर सकी।