बदरवास विस्फोट काण्ड में अकेली पड़ी बिटिया: 2 भाइयों सहित मां ने गवाई थी जान, पिता जेल में हैं- Badarwas News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिले के बदरवास नगर में विते 11 अप्रैल को हृदय विदारक घटना घटित हुई थी जिसमें एक मकान में रखे अवैध आतिशबाजी की खेप में आग भड़क गई थी। पलभर में आतिशबाजी में भड़की आग ने कई लोगों को अपनी आगोश में ले लिया था जिसमें मौके पर ही 2 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में कुल 9 लोगों ने अपनी जान गवाई थी। हृदय विदारक घटित इस घटना में एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत हुई थी वही एक अन्य परिवार के दो भाइयों और उनकी मां ने दम तोड़ दिया था।

मदद की गुहार लगाने पहुंची बेटी

घटित हुई इस हृदय विदारक घटना में दो सगे भाई शिवम जाटव और बादल जाटव की मौत हो गई थी जिसके कुछ दिन बाद दोनों की मां रंजीता जाटव की भी इंदौर में मौत हो गई। परंतु कई माह गुजरने के बाद भी पीड़ित परिवार को सहायता राशि के नाम पर एक रुपए भी जिला प्रशासन या सरकार के द्वारा मुहैया नहीं कराया गया है। मदद की गुहार की फरियाद लेकर 13 वर्षीय खुशी जाटव अपने मामा राज कुमार जाटव के साथ एसपी व कलेक्टर के पास पहुंची है।

दोनों भाई व मां की हुईं मौत, पिता जेल में कौन करेगा पालन

पुलिस अधीक्षक कार्यालय शिकायत लेकर अपने मामा राज कुमार जाटव के साथ पहुंचे खुशी जाटव ने बताया कि अब उसका इस दुनिया में लालन पालन करने के लिए कोई भी सदस्य नहीं बचा है मेहनत मजदूरी करके कमाने वाले उसके दो भाई और उसकी मां की मौत बदरवास में हुए हादसे में हो चुकी है उसका पिता भी ग्वालियर की सेंट्रल जेल में पिछले 8 वर्षों से सजा काट रहे हैं।

खुशी ने बताया कि अब वह पढ़ना चाहती है और अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है परंतु उसे अब तक किसी भी प्रकार की कोई भी मदद प्रशासन और सरकार के द्वारा मुहैया नहीं कराई गई है। यही फरियाद लेकर खुशी शिवपुरी कलेक्टर व एसपी के पास पहुंची है

खुशी का कहना है कि उसे सहायता राशि मुहैया कराई जाए इसके साथ ही उसके पढ़ने लिखने की भी व्यवस्था प्रशासन के द्वारा कराई जाए साथ ही उसके मामा राजकुमार को किसी भी शासकीय या अर्ध शासकीय सेवा में नौकरी दी जाए जिससे वह अपने मामा के यहां रह कर अपनी पढ़ाई को पूरा कर सके।

खुशी के मामा राजकुमार का भी कहना है बच्चे अभी नाबालिग है उसके लालन-पालन सहित उसके शादी विवाह के खर्चे के लिए उसे मदद की आवश्यकता होगी क्योंकि वह इतना सक्षम नहीं है कि वह यह सब अकेला कर सके। अगर प्रशासन की ओर से उसे कुछ मदद मिलती है तो वह खुशी की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से उठा सकता है।
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