World Autism Awareness Day : जन्म के पहले तीन साल में ही आने लगते है लक्षण - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। आपका बच्चा अपने में गुमसुम तो नहीं रहता है। यदि ऐसा है तो ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ संजय ऋषिश्वर के मुताबिक ऑटिज्म एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है। इसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था में पहले तीन साल में नजर आने लगते हैं। यह व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण, अपनी बात को दूसरे तक पहुंचाने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। आमतौर पर लोग ऑटिज्म के शिकार बच्चों को मंदबुद्धि कहते हैं।

जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ.अर्पित बंसल मनकक्ष की ओपीडी में आने वाले 30 से 40 बच्चों में औसतन तीन से पांच बच्चे ऐसे आते हैं जिनमें ऑटिज्म के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे बच्चों को विशेष देखरेख एवं चिकित्सा जो कि मनो चिकित्सक की देखरेख मे कराने की सलाह देते हैं।

कार्यक्रम के सूत्रधार एवं आयोजनकर्ता शक्तिशाली महिला संगठन के रवि गोयल ने कहा कि ऑटिज्म प्रभावित लोगों विशेषकर बच्चों के जीवन को और बेहतर बनाने के लिए हर साल दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म अवेयरनेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी के तहत आज शक्तिशाली महिला संगठन के बाणगंगा स्थित कार्यालय पर ऑटिज्म बच्चे एवं उनके परिवार वालों के साथ अनौखी कार्यशाला का आयोजन मुख्य अतिथि डा.संजय ऋषिश्वर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ अर्पित बंसल के द्वारा आनलाईन कार्यक्रम में सहभागिता करके की।

डॉ अर्पित बंसल ने कार्यशाला में सर्वप्रथम ऐसे बच्चों के अभिभावकों के होसले की तारिफ की एवं उनको कहा कि आप ऐसे बच्चों से प्यार से पेश आए। ये बच्चे सामान्य बच्चों की तरह ही सोचते समझते एवं फील कर सकते है पर हम उनके साथ अच्छे से पेश नही आते जिस कारण परेशानी खड़ी होती है।

डा बंसल बताते हैं कि यह न्यूरो संबंधी डिसऑर्डर है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चा आंख से आंख मिलाकर बात नहीं करता है। घर में मौजूद दूसरे बच्चों में घुलने.मिलने के बजाय अपने आप में खोया रहता है। ऐसे बच्चों में बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है। इसका पता लगाने के लिए मॉलिक्युलर और सेल्यूलर लेवल पर जांच की जाती है।

इसके बाद बच्चों का उसकी जरूरत के अनुसार इलाज शुरू किया जाता है। ऑटिज्म के लक्षण 12 से 13 माह के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण नजर आने लगते हैं। इस विकार में व्यक्ति या बच्चा आंख मिलाने से कतराता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बात को न सुनने का बहाना करता है। आवाज देने पर भी कोई जवाब नहीं देता है। अव्यवहारिक रूप से जवाब देता है। माता.पिता की बात पर सहमति नहीं जताता है।

आपके बच्चे में इस प्रकार के लक्षण हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श लें। कार्यशाला में भाग लेने वालों में प्रियका कुशवाहा, आकृति लोधी, राहुल शर्मा, पार्थ श्रीवास्तव, निक्की सेन, संजय उदेनिया आदि बच्चों को उपहार एवं पौधा देकर उनका उत्साहवर्धन किया।

बच्चों के अभिभावकों ने डा.संजय ऋषिश्वर से मांग की कि ऐसे बच्चों को एक विशेष विद्यालय एवं स्पीच थेरेपी एवं स्किल डेव्हलपमेंट के लिए प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है जिससे कि ये बच्चे स्वयं आत्मनिर्भर बने। डॉ संजय ऋषिश्वर ने इस बात पर जल्दी योजना बनाने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में आटिज्म से पीड़ित बच्चें एवं अभिभावको ने कार्यशाला में भागीदारी की। साथ में शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम उपस्थित थी।
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