शिवपुरी। मुख्यमंत्री की इच्छानुसार तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के मार्गदर्शन में यह निर्णय लिया गया है कि अब मेडिकल की पढ़ाई देवनागरी लिपि में भी कराई जाएगी। श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी के पीआरओ ने बताया कि हिंदी भाषा को जिस लिपि में लिखा जाता है उसे देवनागरी लिपि कहते हैं।
चिकित्सा शिक्षा में देवनागरी लिपि का उपयोग करने पर भाषा अथवा ज्ञान का उद्देश्य जस का तस रहेगा। सिर्फ अंग्रेजी के क्लिष्ठ शब्दों को जैसा का तैसा हिन्दी में लिख दिया जाएगा। इससे उन छात्रों को फायदा है जो कि हिन्दी माध्यम तथा ग्रामीण अंचल से आते है, जिनको अंग्रेजी पढ़ने, बोलने, समझने तथा उत्तर देने में कठिनाई होती हैं अब ऐसे छात्रों को हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करते हुए अपना उत्तर दे सकता है, समझ सकता है एवं समझा सकता है।
देवनागरी लिपि में पढाने में समस्त हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के छात्रों का फायदा होगा तथा देश विदेश में जाकर नौकरी, प्रैक्टिस तथा मरीजों का उपचार कर सकेगें। इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। जिसमें अभी सिर्फ प्रथम प्रोफेशनल के छात्र-छात्राओं को एनाटॉमी/ बायोकेमेस्ट्री/फिजियोलॉजी ही देवनागरी लिपि में पढ़ाई जाएगी। इस संदर्भ में शासन स्तर पर सभी चिकित्सा महाविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर एवं प्रोफेसर की टीम बना दी गई है।
जो निर्धारित अध्यायों को अंग्रेजी माध्यम की किताबों को देवनागरी लिपि में रूपांतरण करेंगे। उक्त के संदर्भ में डॉ.अक्षय कुमार निगम, अधिष्ठाता भोपाल बैठक में उपस्थित रहे एवं उन्होंने बताया कि वर्तमान में अंग्रेजी को हिन्दी में परिवर्तित नहीं किया जा रहा है बल्कि अंग्रेजी भाषा को देवनागरी लिपि में रूपांतरण किया जा रहा है, जिससे कि दोनो भाषाओं के छात्रों को इसका फायदा मिलेगा।