दुखद खबर के बाद हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए अभिवादन करने वाला राकेश जैन को चेहरा सबको याद आ रहा हैं- Shivpuri News

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शिवपुरी।
कल शाम को शिवपुरी की फिजा में सबको हतप्रभ करने वाली खबर आई कि प्रेम स्वीट के संचालक राकेश जैन अब नही रहे हैं,सभी लोग अपने अपने हिसाब से इस खबर को कंफर्म करने के लिए जुट गए,इसके बाद राकेश जैन की संवेदनाओं से भरी पोस्ट सोशल पर आने लगी। राकेश जेन हाथ जोडकर मुस्कराते हुए अभिवादन करने की अदभुत कला के धनी थे और यही चेहरा सभी लोगों की आंखों के आगे आने लगा था।

दोपहर 3 बजे तक श्री जैन अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान प्रेम स्वीट्स पर अच्छे भले बैठे हुए थे और अपने ग्राहकों से खिल-खिलाकर बातचीत कर रहे थे। 45 वर्षीय राकेश जैन के आकस्मिक अवसान से शहर में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। एक चेहरा जो हमेशा हंसता मुस्कुराता रहता था। अपने मिलने-जुलने वाले लोगों को खुशियां बांटता था। वह अचानक सारे शहर को रूलाकर चुपचाप चला गया।

अनेक गणमान्य नागरिकों, व्यापारियों, समाजसेवियों, अधिकारियों, राजनेताओं और पत्रकारों ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है। श्री जैन का अंतिम संस्कार आज सुबह मुक्तिधाम शिवपुरी में शोकाकुल माहौल में किया गया।

श्री जैन विष्णु मंदिर के सामने स्थित बंगले में निवास करते हैं। बताया जाता है कि शाम 4 बजे के लगभग अचानक उन्हें बेचैनी और घबराहट महसूस हुई और वह पसीना-पसीना हो गए। इसके पश्चात उनके मित्र उन्हें तुरंत लेकर पास ही स्थित पीपुल्स हॉस्पिटल गए। लेकिन तब तक श्री जैन इस दुनिया से विदा हो चुके थे और डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

जैसे ही यह समाचार नगर में फैला वैसे ही शोक की लहर व्याप्त हो गई। श्री जैन मिलनसार, व्यवहार और हंसमुख प्रवृत्ति के इंसान थे और लायंस क्लब सहित अनेक सामाजिक संगठनों से जुडे हुए थे। धार्मिक कार्यों में भी उनकी गहन रुचि थी और उन्हें शिवपुरी में पसंद करने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी थी। सोशल मीडिया पर भी वह काफी छाये रहते थे और वह बेहतरीन मंच संचालक और श्रेष्ठ वक्ता थे।

वह कभी-कभी मजाक में कहते थे कि मंच संचालन उन्होंने अपनी पत्नी रुचि जैन से सीखा है। अपनी सहृदयता, वाकपटुता, उदारता और सहयोग करने की भावना के कारण जो भी श्री जैन के नजदीक आता था, वह उनका मुरीद हो जाता था। माधव चौक उनकी हंसी से गुलजार रहता था। यहीं कारण है कि उनके अचानक चले जाने से पूरे शहर में शोक की लहर है।

अपनी मेहनत से समाज में बनाया था प्रतिष्ठित स्थान

दिवंगत राकेश जैन और उनके पिता प्रेमचंद्र जैन तथा बडे भाई राकेश जैन ने अपनी मेहनत और मिलनसारिता से समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। श्री जैन के पिता प्रेमचंद जैन चार पहियों के ठेले पर 20-25 साल पहले तक माधव चौक पर मिष्ठान विक्रय का कार्य करते थे। लेकिन व्यवहार कुशलता, सरलता और सहजता में उनका कोई मुकाबला नहीं था। उनके दिए संस्कारों के कारण उनके दोनों सुपुत्र राजेश जैन और राकेश जैन ने अपने पैतृक व्यवसाय को आगे बढ़ाया और उनके छोटे पुत्र प्रदीप जैन राज्यसेवा परीक्षा उर्तीण कर शासकीय सेवा मं आए और वर्तमान में वह भोपाल में मंत्रालय में पदस्थ हैं।

राकेश जाते-जाते एक कर्जा मुझपर छोड़ गए

राकेश जैन के आकस्मिक निधन पर उनके अजीज मित्र राकेश जैन आमोल ने फेसबुक पर अपनी भावूक प्रतिक्रिया में कहा है कि राकेश जाते-जाते मुझपर एक कर्जा छोड़ गए। काश मैं उस कर्जे को पटा पाता। पिछले 8 वर्षो से मैं तुमसे कहा करता था कि राकेश शिवपुरी शहर में एक दिन बहुत बड़ा सम्मान हम तुम्हारे करेंगे और तुम मुझसे हंसते हुए कहते थे कि सम्मान करने का वह दिन कब आएगा मित्र। काश वह दिन जल्द आ जाता। मेरे भाई, मेरे मित्र गिने-चुने लोग ही होते हैं, जो अपने जीवनकाल में उपलब्धियां हांसिल कर पाते हैं और तुम उन विरलों में एक हो।

वो मुस्कराते हुए चेहरा याद आता हैं

आज मेने मेरे भाई जैसे मित्र को खो दिया है। उसकी हालात यह थी कि उसे सेबा का कोई भी काम बताया जाता था तो वह उसे मिशन के रूप में लेता था। उस समय जब तात्या टोपे पार्क का निर्माण कार्य चल रहा था उस समय उसमें प्लांटेशन की दिक्कत आ रही थी। मेंने राकेश को बताया तो उसने कहा कि वह लायंस क्लब का अध्यक्ष बना है और इस क्लब के शपथ ग्रहण समारोह में अमूमन डेढ से दो लाख रुपए का खर्च आता है। उसने पहली बार इस शपथ ग्रहण समारोह को हाईटेक न करते हुए पर्यावरण के प्रति प्रेम दिखाते हुए यह शपथ ग्रहण समारोह तात्या टोपे पार्क में किया गया।

आज जो भी हरियाली तात्या टोपे पार्क में दिख रही है यह उसी की देन है। परंतु वह कभी भी सुर्खियों में न रहते हुए काम में भरोसा करते थे। इसी के चलते जब उसे पता चला कि पटेल पार्क में पक्षियों को दाना पानी में दिक्कत आ रही है। तत्काल उनकी पूरी टीम ने वहां दाना पानी एटीएम लगवाए। पेड पौधों से लेकर पशु पक्षियों का भी विधिवत ख्याल रखने वाला वह राकेश अब हमारे बीच में नहीं रहा। रोते हुए उन्होंने बताया कि मेरी लाइफ का जो भी टर्निंग पॉईंट रहा उसमें इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आर्थिक रूप से लेकर मोरल सपोर्ट की। कई बार तो वह चेहरा देखकर बता देता था कि तुम्हें कोई परेशानी है।

और जबरन उसे पूछकर तत्काल उसे मिशन बनाकर उसका समाधान खोजने में जुट जाता था। दिन भर में चार बार प्रेम स्वीट पर जाता था। उसकी बजाय राकेश जैन था। जब में किसी कारण बस नहीं जा पाता था तो उसका फोन आ जाता था। आज कहा चले गए। में पिछले चार दिन से उससे नहीं मिल सका यह अफसोस मुझे जीवन भर रहेगा कि में आखिरी समय में उसके साथ नहीं रहा।
अशोक अग्रवाल,बरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरण प्रेमी
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